आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक वर्गों को दिए गए साढ़े चार प्रतिशत आरक्षण को निराधार करार दिया. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी. लॉकर और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने अपने निर्णय में धर्म के आधार पर आरक्षण देने से इन्कार कर दिया.
पिछड़ी जाति कल्याण संगठन के अध्यक्ष आरके कृष्णन्नैया द्वारा आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के विरुद्ध दायर की गई याचिका पर न्यायमूर्ति मदन बी. लॉकर और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने अपना निर्णय दिया. खंडपीठ ने तर्क दिया कि इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा तैयार प्रथम कार्यालय ज्ञापन के अनुसार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून की धारा 2(सी) में परिभाषित अल्पसंख्यकों से संबंध रखने वाले शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिकों के लिए साढ़े चार प्रतिशत का आरक्षण तय किया गया जबकि दूसरे कार्यालय ज्ञापन में अल्पसंख्यकों के लिए कोटे में कोटा बना दिया गया, जोकि वैध नहीं है.
ज्ञातव्य हो कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से पूर्व अल्पसंख्यक वर्गों के लिए ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षित कोटे से साढ़े चार प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी. चुनाव आयोग ने इस निर्णय पर चुनाव प्रक्रिया तक रोक लगा दी थी. उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव परिणाम के उपरांत केंद्र सरकार ने इस निर्णय को लागू कर दिया था.
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