बाईस देशों का अरब लीग 7 सितंबर 2014 को इस्लामिक स्टेट ग्रुप के जिहादी आतंकवादियों से मिलने वाली धमकी का मुकाबला करने के लिए वैश्विक गठबंधन में शामिल होने को सहमत हो गया. यह फैसला मिस्र के काहिरा में आयोजित आपात बैठक में किया गया.
अरब लीग के विदेश मंत्रियों ने फैसले में सबसे पहले आतंकवादियों के लिए दी जाने वाली फंड को रोकने का कदम उठाया.
अरब लीग ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कट्टरपंथी इस्लामिक चरमपंथियों को धन और विदेशी लड़ाके मुहैया कराने से रोकने के संकल्प को अपनाया.
संयुक्त राष्ट्र का संकल्प अगस्त 2014 में पारित किया गया था और अपने सदस्य देशों को इराक एवं सीरिया के चरमपंथियों आईएसआईएस को लॉजिस्टिकल, सैन्य और वित्तीय सहायता रोकने के लिए कार्रवाई करने को कहा था.
फैसले के मुताबिक अरब लीग आतंकवादी समूहों से निपटने के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रयासों में सहयोग करेगा. लीग के महासचिव नाबिल अल अरबी ने कहा कि "जिहादी आतंकवादियों का उदय एक चुनौती है और इसका सैन्य एवं वित्तीय समेत सभी मोर्चों पर सामना करना पड़ता है".
लेकिन लीग ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे जिहादियों से मुकाबले के लिए सैन्य कार्रवाई से सीधे तौर पर जुड़ेगे या नहीं. अरब लीग में मिस्र, सउदी अरब, जॉर्डन, लेबनान, कतर और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
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