भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों की तरलता बढ़ाने एवं उनके निवेश पोर्टफोलियो को रुपये की गिरती साख को बचाने के विभिन्न प्रयासों के दौरान हुए नुकसानों की भरपाई करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 20 अगस्त 2013 को वैधानिक नकदी अनुपात (एसएलआर, Statutory Liquidity Ratio, SLR) को मौजूदा 23 प्रतिशत से बढ़ाकर 24.5 प्रतिशत कर दिया.
आरबीआई द्वारा 1.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी से बैंक अब अपनी जमाओं व सरकारी बांडों का 24.5 प्रतिशत तक रख सकते हैं. आरबीआई के इस कदम के परिणामस्वरूप बैंकों के पास अब पहले से कहीं अधिक पूंजी ऋण देने के लिए उपलब्ध होगी.
आरबीआई ने अपने जारी नोट में कही कि मुद्रास्फीति को रोकने व बाजार से नकदी की मात्रा कम करने के प्रयासो के तहत कई कदम हाल में उठाये जा चुके हैं लेकिन हमे यह सुनिश्चित करना है कि इन प्रयासों का विपरीत प्रभाव ऋण की उपलब्धता पर न पड़े.
विदित हो कि बाजार से नकदी कम करने व विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपये की गिरती साख को रोकने के प्रयासों के तहत आरबीआई के उपायों चलते वित्त बाजार पर काफी नकारात्मक असर रहा जिसके कारण कई उद्योगों में मंदी की सामना करना पड़ा है.
इसके साथ ही आरबीआई ने घोषणा की कि विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत को रोकने के लिए यह 23 अगस्त 2013 को खुले बाजार से 8000 करोड़ रुपये के सरकारी बाँडों की भी खरीद करेगा.
विदित हो कि 20 अगस्त 2013 को भारतीय रुपया अपने सर्वकालिक न्यूनतम स्तर 64.11 रुपये प्रति डॉलर तक पहुँच गया था.
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