उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 31 जनवरी 2014 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना (मनरेगा) के फंड के इस्तेमाल को लेकर सात जिलों में हुई कथित हेराफेरी की जांच करने का आदेश दिये.
यह आदेश लखनऊ कोर्ट की डिविजन बेंच द्वारा एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद पारित किया गया था. बेंच में न्यायमूर्ति डीपी सिंह और न्यायमूर्ति अशोक पाल सिंह थे.
सात जिले, जहां पर मनरेगा के फंड का इस्तेमाल संदेहास्पद हैः
• बलरामपुर
• गोंडा
• महोबा
• सोनभद्र
• संतकबीर नगर
• मिर्जापुर
• कुशीनगर
न्यायालय ने अपने निर्देश में सीबीआई को हर तीन महीने के अंतर पर न्यायालय के समझ अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा.
इसके साथ ही, अदालत ने सीबीआई को राज्य के अन्य जिलों में मनरेगा के तहत दी गई धनराशि के दुरुपयोग, हेरफेर की जांच कर प्रारंभिक जांच करने का भी निर्देश दिया.
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