खेती और उद्योगों में उर्वरकों के इस्तेमाल से वैश्विक चारागाह पारिस्थितिकी तंत्र (ग्लोबल ग्रासलैंड इकोसिस्टम) पर बुरा प्रभाव पड़ता है. यह जानकारी फरवरी 2014 के तीसरे सप्ताह में न्यूट्रिएंट नेटवर्क (नटनेट) नाम से प्रकाशित एक शोध दी गई.
लैंसेस्टर विश्वविद्यालय और मिनेसोटा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम के अध्ययन अनुसार प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पौधों के कम समकालिक विकास के कारण अधिक स्थिर पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है.
अध्ययन का निष्कर्ष तब निकाला गया जब यह टीम इस सिद्धांत पर काम कर रही थी कि जब किसान उर्वरकों का झिड़काव करते हैं तब वर्षा के पानी के साथ वायुमंडलीय नाइट्रोजन वापस मिट्टी में जाकर ग्रासलैंड पर क्या प्रभाव डालता है. टीम ने पाया कि इसकी वजह से प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणाली में अस्थिरता आती है.
टीम ने उर्वरकों का प्रभाव पांच महाद्वीपों के 41 अलग– अलग साइटों पर आकलन किया. प्रयोगात्मक नेटवर्क ने चीन के अल्पाइन क्षेत्रों के साथ तनजानिया के सेरेनगेटी इलाके की पारिस्थितिकी प्रणाली को शामिल किया.
इतने बड़े पैमाने पर प्राकृतिक स्थलों को शामिल कर किया गया यह पहला अंतरराष्ट्रीय प्रयोग था.
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