एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 3 जुलाई 2014 को असम के लिए 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण की मंजूरी दी. यह ऋण असम को उसके उपभोक्ताओं, विश्व प्रसिद्ध चाय उद्योग और उसके पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले बिजली क्षेत्र की अक्षमताओं को दूर करने में मदद करेगा.
ये फंड राज्य को तीन चरणों में दिया जाएगा जिसमें परियोजनाएं वर्ष 2023 के आखिर तक पूरी कर ली जाएंगी. पहली किश्त 50 मिलियन डॉलर की होगी जिसका इस्तेमाल उत्तरी असम में स्थित लकवा गैस पावर प्लांट में पुराने गैस टर्बाइन को बदलने के लिए किया जाएगा. दूसरी किश्त भी 50 मिलियन डॉलर की होगी और तीसरी किश्त 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की.
यह नया ऋण बिजली कंपनियों और नियामक एजेंसियों की क्षमता निर्माण और वितरण घाटों को कम करने के लिए पहले से जारी प्रयासों में मदद करेगी.
यह ऋण राज्य में 10 वर्ष और 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापक निवेश कार्यक्रम का हिस्सा है. 120 मेगावाट पनबिजली संयंत्र के निर्माण के साथ यह फंड उगाहने और उसके वितरण के उन्नयन का भी काम करेगा. मध्य असम के लोउर कोपिली नदी पनबिजली संयंत्र से हर वर्ष जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से उत्सर्जित होने वाले 530000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने में मदद मिलेगी.
यह ऋण मौजूदा संयंत्रों, नए वितरण लाइनों और सब–स्टेशनों में नई बिजली कुशल उत्पन्न उपकरणों के लिए भी वित्त मुहैया कराएगा. इसके साथ ही यह असम विद्युत उत्पादन निगम और असम विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारीयों को वित्तीय प्रबंधन प्रशिक्षण और अन्य सहायता भी प्रदान करेगा.
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