एसआरटीएमआई की स्थापना के लिए इस्पात कंपनियों ने केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के साथ भागीदारी की

Apr 8, 2015, 12:29 IST

6 अप्रैल 2015 को भारत की प्रमुख इस्पात कंपनियों ने नई दिल्ली में केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के साथ भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (SRTMI) की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया

6 अप्रैल 2015 को भारत की प्रमुख इस्पात कंपनियों ने नई दिल्ली में केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के साथ भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (SRTMI) की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया.


SRTMI का प्राथमिक उद्देश्य इस्पात क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के प्राथमिक क्षेत्रों में मंत्रालय और इस्पात उद्योगों के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है.
इस पहल की भागीदार इस्पात कंपनियां हैं: भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) लिमिटेड, टाटा स्टील, जिंदल समूह का जेएसडब्ल्यू स्टील, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL), राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) और मेटलर्जिकल एंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स (भारत) लिमिटेड ( MECON).
इस मिशन की स्थापना केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया पहल के तहत की गई है.


SRTMI की मुख्य विशेषताएं


 मिशन का उद्देश्य इस्पात क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास पर निवेश को उद्योग के कारोबार के वर्तमान 0.2-0.3 स्तर को बढ़ाकर 1-2 प्रतिशत के अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क तक करना है.

मिशन के तहत अनुसंधान और विकास निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाएगा– देश में उपलब्ध कच्चे माल का सर्वश्रेष्ठ उपयोग और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, इष्टतम ऊर्जा संरक्षण और न्यूनतम उत्सर्जन, नवाचार और डिजाइन का इन–हाउस विकास, इंजीनियरिंग और मुख्य इस्पात संयंत्र उपकरणों की विनिर्माण सुविधाएं.


मिशन की स्थापना 200 करोड़ रुपये से की जाएगी जिसमें मंत्रालय के इस्पात विकास कोष और भागीदार उद्योगों का बराबर का योगदान होगा. 

मिशन भागीदार इस्पात कंपनियों, केंद्रीय इस्पात मंत्रालय, देश के शैक्षणिक और अन्य संस्थानों के बीच करीबी सहयोग से पंजीकृत सोसायटी के तौर पर गठित किया जाएगा.
मिशन एक बोर्ड द्वारा संचालित होगा जिसमें इस्पात और संबंधित कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले विषय विशेषज्ञ और केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के नामित उम्मीदवार होंगे.
इसमें सचिव (इस्पात) की अध्यता में एक निगरानी समिति भी बनाई जाएगी जो मिशन के कामकाज और प्रदर्शन का समय– समय पर आकलन करेगी.

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