केंद्र सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में कार्यरत इकाईयों तथा विकासकर्ता को दी गई प्राधिकृत सेवाओं पर लगने वाले सेवा शुल्क में छूट देने का निर्णय लिया. केंद्र सरकार ने 2 जुलाई 2013 को विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 की धारा 66बी के अधीन विशेष आर्थिक क्षेत्रों की इकाईयों तथा विकासकर्ता को दी गई सेवाओं पर छूट देने का निर्णय लिया.
प्रस्तावित छूट एसईजेड इकाईयों तथा विकासकर्ता को उपलब्ध करायी गयी सेवाओं पर लागाए गए शुल्क और प्राधिकृत कार्यों के लिए प्रयोग में लाई गयी राशि की वापसी के रूप में दिया जाएगा.
प्रस्तावति नियम के अनुसार, सेवा शुल्क की वापसी निम्नलिखित आधारों पर ही होनी है –
1. विशिष्ट सेवाएं जो विशेष रूप से प्राधिकृत कार्यो के लिए नहीं है, अथवा
2. विशिष्ट सेवाएं जिन पर शुरू से छूट स्वीतकार्य है लेकिन वह ली नहीं गयी है.
इस छूट का लाभ लेने के लिए आवश्यक है कि संबंधित इकाईयां प्राधिकृत सेवाओं की प्राप्ति एवं उनके उपयोग का पूरा ब्यौरेवार विवरण रखें.
इस नये नियम में यह भी प्रावधान है कि जो इकाईयां लाभ नहीं लेना चाहती हैं उन्हें इसके बाध्य नहीं किया जा सकता और ऐसी इकाईयां सेनवेट क्रेडिट नियम, 2004 के अंतर्गत विशिष्ट सेवाओं हेतु सेनवेट ऋण ले सकती हैं.
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone, SEZ)
विशेष आर्थिक क्षेत्र किसी भौगोलिक क्षेत्र में स्थापित वह क्षेत्र है जिसका उद्देश्य निर्यात एवं रोजगार को बढ़ावा देना है. अप्रैल 2000 में सर्वप्रथम घोषित विशेष आर्थिक क्षेत्र नीति के तहत आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा रोजगार सृजन हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 को 23 जून 2005 को राष्ट्रपति से अनुमोदन के पश्चात लागू हुआ. देश के कुल निर्यात को एसईजेड तथा डोमेस्टिक टैरिफ एरिया के अंतर्गत दो भागों में बाटा जाता है. वित्त वर्ष 2009-10 में भारत के सभी एसईजेड का कुल निर्यात 2.2 ट्रिलियन रुपये था जो कि वर्ष 2010-11 के दौरान 43% बढ़कर 3.16 ट्रिलियन रुपये पहुँच गया. वर्ष 2010-11 के दौरान कुल 840,000 रोजगार का सृजन हुआ.
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