केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में डाली जाने वाली पूंजी की मात्रा बढ़ाने का निर्णय लिया. यह निर्णय 3 अक्टूबर 2013 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर डॉ रघुराम राजन और केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदम्बरम के बीच बातचीत के बाद किया गया. वर्ष 2013-14 के बजट में इस मद में 14000 करोड़ रूपये देने की व्यवस्था की गई थी. इस राशि को पर्याप्त तरीके से बढ़ाया जायेगा.
उद्देश्य
घरेलू स्तर पर मांग बढ़ाकर विनिर्माण गतिविधियों को गति देने और अर्थव्यवस्था में मजबूत लाने के उद्देश्य से भारत सरकार कार, दोपहिया वाहनों और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के लिए सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध कराने के मकसद से बैंकों को अतिरिक्त पूंजी प्रदान करने निर्णय लिया. इसका उद्देश्य त्योहारों के मौके पर उपभोक्ता कर्ज आसान बनाना है.
अधिक पूंजी मिलने से बैंक ऑटो और उपभोक्ता ऋणों को आसान दरों पर कर्ज वितरित कर सकेंगे. जुलाई में टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे उत्पादों की मांग में कमी से कंज्यूमर ड्यूरेबल क्षेत्र के उत्पादन में 9.3 फीसद की कमी दर्ज की गई थी.
लाभ
बैंकों को अतिरिक्त धनराशि प्रदान करने से उपभोक्ताओं खासतौर से मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी. इससे क्षमता बढ़ने के साथ-साथ रोजगार और उत्पादन में भी वृद्धि होगी. इससे सुस्त अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाकर विनिर्माण क्षेत्र की रफ्तार तेज करने में मदद मिलेगी.
विदित हो कि सितंबर 2013 को समाप्त छमाही में बैंकों के कुल कर्ज की वृद्धि दर वर्ष 2012 के मुकाबले 18 फीसद रही थी, लेकिन कुछ क्षेत्रों को ऋण दर काफी कम रही थी.

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