भारत सरकार ने जापानी इंसेफलाइटिस पर काबू पाने हेतु 4 हजार करोड़ रुपए की योजना को 18 अक्टूबर 2012 को मंजूरी प्रदान की. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दिमागी बुखार से बच्चों की हो रही मौत पर गंभीर चिंता जताते हुए संयुक्त परियोजना प्रस्ताव को पारित कर दिया गया. इस बीमारी से सबसे अधिक उत्तर प्रदेश और बिहार प्रभावित हुआ है.
इस समग्र योजना हेतु स्वास्थ्य मंत्रालय से 1131 करोड़ रुपए, शहरी आवास व गरीबी उन्मूलन मंत्रालय से 418 करोड़ रुपए, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय से 9 करोड़ रुपए, महिला व बाल विकास मंत्रालय से 177 करोड़ रुपए और सर्वाधिक 2300 करोड़ रुपए पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय द्वारा दिए जाने हैं.
बच्चों की इस जानलेवा बीमारी से निपटने हेतु केंद्र सरकार ने मंत्रियों का समूह (जीओएम) बनाया था. जीओएम की सिफारिशों के आधार पर संबंधित मंत्रालयों और विभागों की संयुक्त परियोजना तैयार करने का निर्देश दिया गया. इसी के आधार पर तैयार मसौदे को 18 अक्टूबर 2012 को मंजूरी प्रदान की गई. इस समग्र योजना का लाभ देश के कुल 60 जिलों को मिलेगा, जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के 20 और बिहार के 15 जिलों शामिल हैं.
जापानी इंसेफलाइटिस: मच्छरों के मार्फत तेजी से बच्चों में फैलने वाले वायरस से यह बीमारी फैलती है. गंदा पानी, सूअर, जल में रहने वाली पक्षियों में यह वायरस मिलता है. छुआछूत से यह मर्ज नहीं फैलता है. बच्चे इसमें तेज बुखार के साथ बेहोश हो जाते हैं और इलाज में विलंब होने से मौत हो जाती है. 15 वर्ष तक की आयु के बच्चे इसकी चपेट में आते हैं. वर्तमान में इसका सर्वाधिक प्रकोप पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में व्याप्त है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation