केंद्र सरकार ने 24 जुलाई 2014 को केन-बेतवा नदी को आपस में जोड़ने की ‘केन-बेतवा लिंक परियोजना’ को मंजूरी प्रदान की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई. इन दोनों नदियों के आपस में जुड़ने से बुंदेलखंड की छह लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा मिलेगी.
‘केन-बेतवा लिंक परियोजना’ से उत्तर प्रदेश में झांसी, महोबा और बांदा जबकि मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिलों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा. सरकार को केन-बेतवा नदी को जोड़ने पर लगभग 9000 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है. केन से बेतवा को जोड़ने के लिए 221 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जायेगी.
विदित हो कि ‘नदी-जोड़ो परियोजना’ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (राजग) की महत्वाकांक्षी परियोजना में से एक है. इसका क्रियान्वयन इस मामले को अदालत में जाने की वजह से अवरुद्ध हुआ. पर्यावरण परिस्थितियों पर ‘नदी-जोड़ो परियोजना’ के पड़ने वाले प्रभावों के परिपेक्ष्य में भी पर्यावरणविदों द्वारा इसका विरोध किया जाता है.
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