सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी कोटे की आरक्षित सीटों को सामान्य वर्ग के छात्रों को नहीं दी जा सकती है. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक की खंडपीठ ने यह टिप्पणी 3 अगस्त 2011 को की.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई के पूर्व निदेशक प्रोफेसर पीवी इंद्रेशन ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय व अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय में ओबीसी के प्रवेश के मानक स्पष्ट करने संबंधी याचिका 7 सितंबर 2010 को दायर की थी. ज्ञातव्य हो कि प्रोफेसर पीवी इंद्रेशन की याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय के उस निर्णय के विरोध में दायर की गई थी, जिसमें ओबीसी छात्रों के लिए कट ऑफ अंक, सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों से 10 फीसदी कम पर प्रवेश दिए जाने का आदेश था.
इससे पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने कट ऑफ अंक से दस अंक कम पर प्रवेश का निर्णय दिया था. इसी तरह न्यायमूर्ति पसायत व सीके ठक्कर के फैसले में भी शिक्षा का उच्च स्तर बनाए रखने के लिए ओबीसी को सिर्फ 5 फीसदी कम अंकों पर प्रवेश देने का सुझाव दिया गया था.
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