प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की प्रथम एकीकृत राष्ट्रीय नीति- कौशल विकास एवं उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति 2015 को 2 जुलाई 2015 मंजूरी दी. यह नीति सफल कौशल रणनीति की कुंजी के रूप में उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए एक प्रभावी योजना की जरूरत को स्वीकार करती है.
कौशल विकास पर पूर्ववर्ती राष्ट्रीय नीति का निरूपण श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने वर्ष 2009 में किया था और नीतिगत प्रारूप को उभरते राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय रुझानों के अनुरूप बनाने के लिए पांच साल बाद समीक्षा का प्रावधान किया गया था.
कौशल विकास एवं उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति 2015 का लक्ष्य
इस नीति का लक्ष्य ‘उच्च मानकों सहित गति के साथ बड़े पैमाने पर कौशल प्रदान करते हुए सशक्तीकरण की व्यवस्था तैयार करना और उद्यमिता पर आधारित नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना, जो देश में सभी नागरिकों की स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए धन एवं रोजगार का सृजन कर सके.
लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीति के प्रमुख क्षेत्र
इस विजन को प्राप्त करने के लिए नीति के निम्नलिखित चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाना है.
• यह नीति कम अपेक्षित मूल्य, औपचारिक शिक्षा से एकीकरण का अभाव, निष्कर्ष पर ध्यान देने का अभाव, प्रशिक्षण के लिए अच्छी बुनियादी सुविधाओं और प्रशिक्षकों का अभाव, आदि सहित कौशल संबंधी प्रमुख बाधाओं को दूर करती है.
• नीति वर्तमान खामियों को दूर करते हुए, उद्योग से संबंध को बढ़ावा देते हुए, गुणवत्तापूर्ण भरोसेमंद प्रारूप के परिचालन, प्रौद्योगिकी को बल प्रदान करने और प्रशिक्षुता प्रशिक्षण के व्यापक अवसरों को बढ़ावा देते हुए कौशलों के लिए आपूर्ति एवं मांग को व्यवस्थित रखती है.
• नीति में निष्पक्षता पर ध्यान दिया गया है, जो सामाजिक/भौगोलिक रूप से हाशिये पर रहने वालों और वंचित वर्गों के लिए कौशल अवसरों पर लक्षित करती है.
• महिलाओं के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता कार्यक्रमों पर नीति में विशेष ध्यान दिया गया है. उद्यमिता के क्षेत्र में, नीति में महिलाओं को औपचारिक शिक्षा प्रणाली के दायरे भीतर और बाहर संभावित उद्यमियों को शिक्षित और समर्थ बनाने की बात कही गई है.
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