भारत का इतिहास उठाकर देखें, तो हमें अलग-अलग शहरों का अलग-अलग इतिहास देखने को मिलता है। शहरों का गौरवशाली इतिहास हमें अतीत के उन पन्नों में ले जाता है, जहां शहरों के बसने से लेकर उनके विकास की गाथा लिखी गई है। आपने भारत के अलग-अलग शहरों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत का एक शहर ऐसा भी है, जिसका अतीत में एक या दो बार नहीं, बल्कि 21 बार नाम बदल चुका है। कौन-सा है यह शहर, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
भारत में कुल कितने शहर हैं
सबसे पहले हम भारत में कुल शहरों के बारे में जान लेते हैं। आपको बता दें कि में भारत में कुल 797 शहर हैं। इनमें से 752 शहर राज्यों में हैं, तो शेष केंद्र शासित प्रदेशों में हैं। हालांकि, कुछ लेखों में आपको कुल शहरों की संख्या 780 से लेकर 813 तक भी देखने को मिल सकती है।
किस शहर का नाम 21 बार बदला है
अब सवाल है कि भारत में किस शहर का नाम 21 बार बदला है, तो आपको बता दें कि यह शहर उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर है। अतीत के पन्नों में इसका नाम करीब 21 बार बदल चुका है। उत्तर प्रदेश का यह शहर प्रमुख शहरों में गिना जाता है, जो कि अपनी संस्कृति, शैली और खान-पान के साथ अतीत की घटनाओं के लिए विख्यात है।
क्या था कानपुर का मूलनाम
कानपुर के मूल नाम की बात करें, तो इसका नाम कान्हपुर था। इस शहर की स्थापना हिंदू सिंह चंदेल द्वारा की गई थी।
किस वजह से बदले गए नाम
कानपुर का नाम समय-समय पर शासकों के बदलने, ब्रिटिश प्रभाव व स्पेलिंग में सुधार की वजह से बार-बार बदला गया। यहां मुगलों से लेकर ब्रिटिश का शासन रहा। ऐसे में शहर को बार-बार नाम मिलते गए।
आखिरी बार कब बदला नाम
कानपुर का आखिरी बार नाम 1948 में बदला गया था। ब्रिटिश सत्ता के समय कानपुर सत्ता का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश ने इसे मजबूत औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित किया था। उस समय से इसे कॉनपुर(Cownpore) कहा जाता था। हालांकि, 1948 में इसे कानपुर कर दिया गया।
किन-किन नामों से जाना जाता था कानपुर
अब सवाल है अतीत में इसे किन-किन नामों से जाता था। आपको बता दें कि कानपुर को पहले कान्हपुर, कन्हैयापुर, कर्णपुर, कॉनपोर, कॉनपावर, खानपुर, कान्हापुर, पटकापुर, करनपुर,सीमामऊ व कॉनपउर नाम से जाना जाता था। इसके अतिरिक्त, इसके और भी नाम थे, जिनकी स्पेलिंग में कुछ अक्षरों का अंतर था। ब्रिटिश अधिकारियों के इसके उच्चारण में परेशानी होती थी। ऐसे में उन्होंने इसका उच्चारण कॉनपोर किया। बाद में इसका नाम कानपुर हो गया। आज इसे भारत की लेदर सिटी के नाम से भी जाना जाता है और यहां से देश-दुनिया में चमड़े का निर्यात किया जाता है। गंगा किनारे बसा यह शहर चीनी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर में ही स्थित है।
1857 की क्रांति में महत्त्वपूर्ण भूमिका
1857 की क्रांति में कानपुर की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही थी। यहां से नाना साहेब और उनके कमांडर इन चीफ तात्या टोपे व सलाहकार अजीमुल्लाह खां ने विद्रोह का नेतृत्व किया था। नाना साहेब बाद में नेपाल चले गए थे और तात्या टोपे को बाद में अंग्रेजों ने पकड़कर फांसी दे दी थी। बाद में कानपुर को ब्रिटिश ने अपने हिसाब से विकसित किया और यहां कपड़ों की मिल से लेकर चमड़ा उत्पाद को बढ़ावा मिला। यही वजह रही कि कानपुर को चमड़े का शहर भी कहा जाता है। वर्तमान में यूपी में दो कानपुर हैं, जिनमें एक कानपुर नगर और दूसरा कानपुर देहात शामिल है।
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