गुजरात विधानसभा ने गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक-2013 को 2 अप्रैल 2013 को पारित किया.
गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक-2013 के मुख्य बिंदु
• गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक-2013 में लोकायुक्त की नियुक्ति में राज्यपाल और उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश की भूमिका समाप्त कर दी गई है.
• इस विधेयक में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 7 सदस्यों की समिति का प्रावधान है. इस समिति द्वारा दिए गए नाम को राज्यपाल द्वारा मंजूरी देने का प्रावधान है.
• इस समिति के अन्य सदस्यों में मुख्यमंत्री द्वारा पसंद किया गया एक मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष का नेता, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का एक प्रतिनिधि और राज्य सतर्कता आयोग के शामिल रहने का प्रावधान है.
• यह विधेयक एक विशेष प्रावधान का प्रस्ताव करता है, जो प्रदेश सरकार को इस मामले में निर्णायक अधिकार प्रदान करता है.
• इसमें एक अन्य महत्वपूर्ण उल्लेख यह किया गया है कि जो कोई भी संबंधित सूचना प्रेस या अन्य किसी रूप में संबंधित प्रावधान का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक करता है, उसे 2 वर्ष की सजा और 2 लाख रूपए के जुर्माने का भुगतान करना का प्रावधान है.
विदित हो कि इस विधेयक से पूर्व गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल द्वारा अगस्त 2011 में गुजरात उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरए मेहता की नियुक्ति पर गुजरात सरकार अपनी कानूनी लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय में हार चुकी है. जनवरी 2013 में उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस नियुक्ति को सही ठहराया था.
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