गृह मंत्रालय ने केयर्न-वेदांत सौदे को सुरक्षा संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र 5 दिसंबर 2011 को दिया. गृह मंत्रालय ने सुरक्षा संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के साथ ही दोनों कंपनियों के मध्य हुए समझौते में आठ क्षेत्रों पर चिंता जताई है. इनमें वेदांत और उसकी इकाइयों पर विभिन्न अदालतों में लंबित 64 मामले भी शामिल हैं.
ज्ञातव्य हो कि लंदन में सूचीबद्ध वेदांत रिसोर्सेज ने लंदन में ही सूचीबद्ध केयर्न एनर्जी की इकाई केयर्न इंडिया की बहुलांश हिस्सेदारी 8.7 अरब डॉलर में खरीदने का सौदा वर्ष 2010 में किया था. दोनों कंपनियों में हुए सशर्त समझौते के अनुसार केयर्न इंडिया द्वारा राजस्थान तेल क्षेत्र से उत्पादित कच्चे तेल पर रॉयल्टी और उपकर के भुगतान को वेदांत रिसोर्सेज ने मान लिया है.
इससे पूर्व केयर्न इंडिया बाड़मेर तेल क्षेत्र में अपनी 70 प्रतिशत हिस्सेदारी पर रॉयल्टी और उपकर का भुगतान नहीं करती थी. इसका भुगतान उसकी सहयोगी ओएनजीसी करती थी. ओएनजीसी की इस क्षेत्र में 30 फीसदी हिस्सेदारी है. वेदांत रिसोर्सेज ने केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए शर्त यानी रॉयल्टी को लागत में शामिल करने और 2,500 रुपये प्रति टन का उपकर देने को मंजूर हो गई है.
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