जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जनजातीय उपयोजना (वर्ष 2013-14) के लिए विशेष केंद्रीय सहायता के तहत 1200 करोड़ रुपए मंजूर किए. वर्ष 2012-13 के मुकाबले यह राशि 11 प्रतिशत अधिक है. यह मंजूरी 15 जुलाई 2013 को दी गई. जनजातीय उपयोजना को प्रभावी ढ़ंग से लागू करने वाले राज्यों के लिए परियोजना आधारित 120 करोड़ रूपए के प्रेरक लुभाव का भी प्रावधान है.
22 राज्यों को दी गई इस राशि का इस्तेमाल जनजातीय लोगों को रोजगार दिलाने और उनकी आय में सुधार लाने के कार्यक्रमों पर किया जाना है. जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी ढ़ांचे का विकास भी इस कार्यक्रम के तहत किया जाना है. कृषि, बागवानी, भूमि सुधार, जलोत्सरण विकास, पशुपालन, परिस्थितकी और पर्यावरण, लघु उद्योगों, लघु व्यापार क्षेत्रों और आदिवासी क्षेत्रों में संपर्क सुधार को प्राथमिकता दी जानी है.
भारत की कुल आदिवासी जनसंख्या में राज्यों से आदिवासी जनसंख्या के प्रतिशत के मापदण्ड के आधार पर मध्य प्रदेश के लिए सबसे अधिक धनराशि 175.25 करोड़ निश्चित की गई है जिसके बाद उड़ीसा (133.21 करोड़) और झारखंड (121.87 करोड़) आता है.
वर्ष 2013-14 के दौरान एससीए से टीएसपी के अंतर्गत राज्यवार आवंटन (लाखों में)
| क्र.सं. | राज्य | आवंटन |
| 1 | आंध्र प्रदेश | 5789.00 |
| 2 | असम | 6233.00 |
| 3 | बिहार | 1306.00 |
| 4 | छत्तीसगढ़ | 9478.00 |
| 5 | गोवा | 237.00 |
| 6 | गुजरात | 8448.00 |
| 7 | हिमाचल प्रदेश | 1768.00 |
| 8 | जम्मू-कश्मीर | 2163.00 |
| 9 | झारखंड | 12187.00 |
| 10 | कनार्टक | 2471.00 |
| 11 | केरल | 549.00 |
| 12 | मध्य प्रदेश | 17525.00 |
| 13 | महाराष्ट्र | 7728.00 |
| 14 | मणिपुर | 1583.00 |
| 15 | उड़ीसा | 13321.00 |
| 16 | राजस्थान | 8377.00 |
| 17 | सिक्किम | 437.00 |
| 18 | तमिलनाडु | 651.00 |
| 19 | त्रिपुरा | 2145.00 |
| 20 | उत्तराखंड | 198.00 |
| 21 | उत्तर प्रदेश | 894.00 |
| 22 | पश्चिमी बंगाल | 4512.00 |
| कुल | 108000.00 | |
| सामान्य परियोजनाओं हेतु | 108000.00 | |
| प्रेरक परियोजनाओं हेतु | 12000.00 | |
| कुल | 120000.00 | |
जनजातीय उपयोजना
जनजातीय उपयोजना राज्यों में विशेष क्षेत्र कार्यक्रम के रूप में चलाया जाता है, जिसके लिए पूरी सहायता केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है. इस योजना को वर्ष 1978 में अनुसूचित जातियों हेतु विशेष घटक योजना के नाम से शुरू किया गया था, जो वर्ष 2006 तक के लिए निर्धारित थी. इस योजना की स्थापना के समय फराह नकवी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् (प्रधानमंत्री कार्यालय) ने इसे पुनर्स्थापित किए जाने की सलाह दी थी. इस दल में 2 सदस्य थे, फराह नकवी और डॉ मिहिर शाह.
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