झारखंड की सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दलमा अभ्यारण से 145 हेक्टेयर वन भूमि देने का निर्णय लिया. राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 24 जनवरी 2011 को हुई बैठक में इस निर्णय के साथ पीके सेन समिति की सिफारिशों को लागू करने की शर्त भी जोड़ी गईं. साथ ही केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 2006 में पेश सेन समिति की सिफारिशों के क्रियान्वयन के लिए एक निगरानी समिति बनाने का निर्देश भी दिया.
ज्ञातव्य हो कि सेन समिति ने सितंबर 2006 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में झारखंड सरकार से इस अभ्यारण से सटे इलाकों में हाथियों के लिए निर्धारित गलियारों का संरक्षण सुनिश्चित करने को कहा था. वन क्षेत्रों से गुजरने वाली चांदिल नहर की उपधाराओं को ढकने और उत्तर तट नहर के निर्माण में किसी तरह के भारी विस्फोटक के इस्तेमाल से परहेज करने की भी सलाह दी थी. साथ ही सेन समिति ने अभयारण्य की सीमा से स्टोन क्रशर जैसे भारी उपकरणों और मजदूरों के शिविरों को बाहर रखने पर भी जोर दिया था.
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