झारखंड में गिरिडीह के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 19 लोगों की नृशंस हत्या से जुड़े चिलखारी नरसंहार कांड में दोषी चार माओवादियों को 23 जून 2011 को मृत्युदंड की सजा सुनाई. न्यायाधीश इंद्रदेव मिश्र ने इस वारदात को रेयरेस्ट ऑफ रेयर की संज्ञा देते हुए दोषी करार जीतन मरांडी, मनोज रजवार, छत्रपति मंडल व अनिल राम को फांसी की सजा दी. ज्ञातव्य हो कि चिलखारी नरसंहार कांड के 19 मृतकों में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी भी थे.
चिलखारी नरसंहार कांड से जुड़े छह अन्य आरोपियों को अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया. झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सजा के उपरांत यह प्रतिक्रिया दी कि चिलखारी नरसंहार के दोषियों को फांसी की सजा नहीं मिलनी चाहिए. मरांडी के अनुसार नरसंहार से उन्हें व्यक्तिगत क्षति हुई, फिर भी दोषियों को सुधरने का मौका मिलना चाहिए.
चिलखारी नरसंहार कांड 26 अक्टूबर 2007 को गिरिडीह के देवरी थाना स्थित चिलखारी गांव में हुआ था. इस गांव में उस दिन फुटबाल प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. रात करीब 12 बजे हथियारबंद नक्सलियों ने सांस्कृतिक मंच से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी, जिससे 19 लोगों की मृत्यु हो गई थी.
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