भारतीय टी बोर्ड ने जनवरी 2016 में पौध संरक्षण संहिता (पीपीसी) का पांचवा संस्करण जारी किया. इसमें भारतीय चाय उद्योग द्वारा इस्तेमाल किए जाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों की संख्या को 35 से बढ़ाकर 37 कर दिया गया है.
सूची में दो नए नाम इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी और फ्लूबेन्डिएमाइड 20 डब्ल्यूजी सम्मिलित किए गए. इसे 1 जनवरी 2015 से अनिवार्य कर दिया गया है.
केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति ने इन दो रसायनों के उपयोग को मंजूरी दे दी थी.
इन नए कीटनाशकों को कुछ विशेष प्रकार के कीटों के लगातार हमले के द्रष्टिगत शामलि किया गया है. मान्यता के अनुसार ये कीट जलवायु– परिवर्तन की वजह से बढ़ रहे हैं.
पौध संरक्षण संहिता निम्नलिखित सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है-
• पीपीएफ वर्तमान भारतीय परिस्थितियों के तहत अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए चाय की खेती में अनिवार्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है.
• पीपीसी का उद्देश्य अच्छी कृषि प्रथाओं (जीएपी) के माध्यम से निरंतरता प्राप्त करना है. इसमें एकीकृत कीट प्रबंधन, वैकल्पिक नियंत्रण रणनीतियों (जैविक नियंत्रण आदि) को बढ़ावा देकर धीरे– धीरे रसायनों पर निर्भरता कम करना है.
• पीपीसी को जिम्मेदार रसायन प्रबंधन पर फोकस करना होगा जिसमें उचित चयन, विवेकपूर्ण उपयोग, सुरक्षित भंडारण और उचित निपटान, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा एवं हरित रसायनशास्त्र शामिल है.
• पीपीसी मनुष्य, वन्यजीवों और पर्यावरण पर कीटनाशकों के होने वाले संभावित नकारात्मक प्रभावों को कम करने के प्रति प्रतिबद्ध है.

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