मद्रास उच्चन्यायालय ने 5 नवम्बर 2015 को एक फैसले की सुनवाई करते हुए ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को उप निरीक्षक के रूप में भर्ती होने की स्वीकृति प्रदान कर दी.
इस फैसले के परिणामस्वरूप तमिलनाडु की ट्रांसजेंडर प्रितिका याशिनी देश की पहली पुलिस उप निरीक्षक बन सकेगी. मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तमिलनाडु सेवा भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह ट्रांसजेंडर को पुलिस उप निरीक्षक के तौर पर तैनात करे क्योंकि वह यह नौकरी पाने का हक रखती है. इसके अतिरिक्त भर्ती बोर्ड को अगली बार जब भर्ती प्रक्रिया में ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में शमाइल करने के निर्देश दिए.
प्रितिका के आवेदन पत्र को प्रारंभिक तौर पर नामंजूर कर दिया गया था जिस पर उसने हाईकोर्ट की शरण ली. उसने हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट की उस व्यवस्था का हवाला दिया जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को ट्रांसजेंडरों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानते हुए उनके उत्थान के लिए कदम उठाने और सरकारी भर्तियों और शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिए सभी प्रकार के आरक्षण के लाभ देने के भी निर्देश दिए थे.
याशिनी का जन्म के प्रदीप कुमार के रूप में हुआ था. उसने पुरुष के रूप में कोयम्बटूर से कम्प्यूटर एप्लीकेशन के रूप में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा लिया.
तमिलनाडु यूनीफॉर्म्ड सर्विसेज रिक्रूटमेंट बोर्ड (टीएनयूएसआरबी) ने 8 फरवरी को सब इंस्पेक्टर के 1087 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरु की. चयन के तीन चरण थे, लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षा और इंटरव्यू. इसके बाद 1 लाख 85 हजार उम्मीदवारों ने फॉर्म भरा था, जिसमें से एक प्रीतिका का नाम भी शामिल था, लेकिन टीएनयूएसआरबी ने प्रीतिका के आवदेन को अस्वीकार कर दिया क्योंकि रजिस्ट्रेशन फॉर्म में उनका नाम पुरुष महिला श्रेणी में नहीं था. इसके बाद से प्रीतिका ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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