अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पादपों में एक महत्वपूर्ण आनुवंशिक गीयर (लक्षण) की पहचान की है जो उनकी जैविक घड़ी को गतिशील रखता है. डीईटी1 नामक इस जीन की मदद से पादपों में कुछ बदलाव लाकर उन्हें भिन्न मौसमों और स्थानों पर उगाया जा सकता है. साथ ही इससे वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन बढ़ सकता है.
ज्ञातव्य हो कि करीब-करीब सभी जीवों में एक जैविक घड़ी होती है जो दिन और रात के साथ जैविक क्रियाओं के समन्यव में मदद करती है. पादपों में यह घड़ी वृद्धि को दोनों समय और दिन या सीजन के लिए समायोजित करने में महत्वपूर्ण है. यह घड़ी प्रात: जीवन और सांध्य जीन से संबद्ध हैं. प्रात: जीन के प्रोटीन दिन निकलने पर सांध्य जीन पर हावी हो जाते हैं और संध्या होने पर इसका बिल्कुल उल्टा होता है.
येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई डीईटी1 नामक जीन जैविक चक्र में सांध्य जीन को दबाने में अहम भूमिका निभाता है. मुख्य अनुसंधानकर्ता जिंग वांग देंग के अनुसार जो पादप कम डीईटी1 बनाते हैं उनमें जैविक घड़ी तेज होती है और उनमें कम समय में फूल आ जाते हैं.
डीईटी1 नामक जीन की खोज से विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को दुर्गम स्थानों से इतर सहज और सुलभ स्थानों पर भी उगाया जा सकता है. इस खोज से चिकित्सा के क्षेत्र में भी काफी मदद मिल सकती है.
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