भारतीय रिजर्व बैंक ने नए बैंक खोलने के लिए 1 जुलाई 2013 तक उन कपनियों से आवदेन आमंत्रित किए हैं जिनमें कुल सार्वजनिक हिस्सेदारी न्यूनतम 51 फीसदी है. साथ ही, रिजर्व बैंक ने नये बैंक खोलने संबंधी स्पष्टीकरण भी 3 जून 2013 को जारी किए. हालांकि कई मुद्दों पर आवदेन करने वाली कंपनियों की दिक्कतों को दूर करने एवं नये बैंक खोलने संबंधी दिशा-निर्देशों को और भी स्पष्ट करने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक नये बैंक लाइसेंसों की नीति का निर्माण कर रहा है जिसे जल्द ही घोषित किया जाएगा.
साथ ही, रिजर्व बैंक देश के वित्तीय ढांचे के बारे में भी एक दस्तावेज प्रस्तुत करेगा जिसमें बैंकों के समेकन सहित तमाम मुद्दों का पूरा ब्यौरा होगा. इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने मीडिया को बताया कि इस दस्तावेज के सृजन में विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों एवं कर अधिकारियों से भी सलाह ली जाएगी.
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बैंकिंग क्षेत्र के लिए बनीं नरसिम्हन समिति एवं इसके प्रस्तावों का जिक्र करते हुए कहा कि देश में कुछ ऐसे बड़े बैंक होने चाहिए जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के हों और साथ कुछ बैंक छोट व मध्यम आकार के भी होने चाहिए जिससे बैंकिंग सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक आसानी से पहुंच सके.
नरसिम्हन समिति
बैंकिंग क्षेत्र के वर्तमान ढांचे का विश्लेषण करने एवं इसे अधिक प्रभावी, प्रतियोगी तथा कारगर बनाने के लिए सुझाव देने के उद्देश्य से नरसिम्हन समिति का गठन दो बार किया गया था.
पहली समिति, नरसिम्हन समिति-1 का गठन भूतपूर्व आरबीआई गर्वनर एम. नरसिम्हन की अध्यक्षता में तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 14 अगस्त 1991 में किया गया था. इस समिति ने नवंबर 1991 में ही अपनी रिपोर्ट वित्तमंत्री को सौंप दी थी जिसे कि 17 दिसंबर 1991 को संसद में रखा गया था.
नरसिम्हन समिति-1 की प्रमुख सिफारिशें
• नगद आरक्षी अनुपात में कमी
• सीआरआर संतुलनों में ब्याज दरें
• वैधानित तरलता अनुपात में कमी
• प्राथमिक क्षेत्रों का पुन: परिभाषिकरण
• ब्याज दरों का विनिमन
• सम्पत्तियों का वर्गीकरण एवं गैर-संपादित सम्पत्तियों का परिभाषिकरण
• बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता
• नये निजी क्षेत्र के बैंकों को अनुमति
• ऋण की पुनः प्राप्ति के लिए न्यायाधिकरण का गठन
• बैंकों का पुनर्गठन
• संदेहास्पद ऋणों को रोकना
दूसरी नरसिम्हन समिति का गठन 1998 में तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम द्वारा किया गया था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिंहा को अप्रैल 1998 में सौप दी थी.
नरसिम्हन समिति-1 की प्रमुख सिफारिशें
• एक निश्चित समयांतराल तक वैधानित तरलता अनुपात को 25 फीसदी तक लाना और नगद आरक्षी अनुपात को 10 फीसदी तक लाना ताकि बैंकों को अधिक ऋण सम्पत्तियां मिल सकें.
• प्राथमिक क्षेत्र को पुनःपरिभाषित किया जाए और जिसमे निम्न को पृथक स्थान मिले – सीमांत किसान, अति सूक्ष्म क्षेत्र, छोटे एवं यातायात संचालक, ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग.
• प्राथमिक क्षेत्रों के लिए निश्चित वित्त का प्रस्ताव – लक्ष्य 10%
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