भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नीलामी रूट द्वारा कंपनियों के शेयरों की बोली लगाने वाले निकायों हेतु 25 प्रतिशत मार्जिन मनी की अनिवार्यता समाप्त की. यह निर्णय 18 जनवरी 2013 को चेन्नई में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की मीटिंग में लिया गया.
इसके अलावा बोर्ड मीटिंग में यह भी निर्णय किया गया कि ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) अथवा नीलामी रूट द्वारा शेयर हिस्सेदारी बेचे जाने के दौरान सांकेतिक (इंडिकेटिव) मूल्यों का खुलासा समूचे ट्रेडिंग सत्र के दौरान होगा.
ओएफएस रूट द्वारा शेयरों की बोली लगाने वाले लोगों अथवा संस्थानों को कोई अपफ्रंट मार्जिन मनी नहीं देनी होगी. हालांकि, उन्हें कुछ शर्तों का पालन करना होगा.
शर्तें निम्नलिखित हैं:
• संस्थान अपनी बोली राशि अथवा बोली लगाए गए शेयरों की संख्या में कोई कमी नहीं कर सकेंगे. इसी तरह वह एक बार बोली लगा देने के बाद उसे वापस नहीं ले सकेंगे. उन्हें अपनी बोली राशि अथवा बोली लगाए गए शेयरों की संख्या में बढ़ोतरी करने की अनुमति होगी. इन सभी मामलों में सेकेंडरी मार्केट के नियमों का पालन किया जाना है.
• संस्थान 100 प्रतिशत अपफ्रंट मार्जिन के साथ भी बोली लगा सकते हैं और इस तरह के ऑर्डर अथवा बोलियों में संशोधन करने या उन्हें रद्द करने की अनुमति होगी. ऑर्डर बुक पर दो तरह के ऑर्डर प्रदर्शित होने हैं- पहला, 100 प्रतिशत मार्जिन वाला और दूसरा बिना मार्जिन वाला.
• सभी बिड के आधार पर एक इंडिकेटिव प्राइस को भी पूरे ट्रेडिंग सेशन के दौरान प्रदर्शित किया जाना है. फंड और सिक्युरिटी का सेटलमेंट टी प्लस वन के आधार पर होना है.
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