ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने 14 दिसम्बर 2015 को दवा कंपनियों नैटको फार्मा और हेटेरो को क्रॉनिक हेपेटाइटिस सी की दवा डैक्लाट्सविर का जेनेरिक वर्जन भारत में बेचने की इजाजत दे दी है. सितंबर 2014 में हेटेरो ड्रग्स लि ने क्रोनिक हेपेटाइटिस सी दवाओं के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका आधारित गिलाद विज्ञान के साथ एक गैर अनन्य लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह निश्चित दवा संयोजन गिलाद के ब्रांड हार्वोनी का जेनेरिक संस्करण है.
- नैटको के अनुसार वह भारत की पहली कंपनी है और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में भी दर्ज है, जिसे डीसीजीआई से यह दवा बनाने की इजाजत मिली है.
- कंपनी को 30 और 60 एमजी की डोज के लिए यह मंजूरी दी गयी है.
- हेटेरो दवा कंपनी को हेपेटाइटिस की दवा का जेनेरिक वर्जन बेचने के लिए डीसीजीआई से अनुमति मिली है.
- हेटेरो भी 30 और 60 एमजी की डोज की दवा की बिक्री कर सकती है.
- डैक्लाट्सविर को सोफोसबुविर के साथ यूज करके क्रॉनिक हेपेटाइटिस सी का इलाज किया जाता है.
- नैटको दवा का जेनेरिक वर्जन एनएटीडीएसी ('NATDAC') नाम से बाजार में उतारेगी.
- नैटको दवा को खुद और अपने पार्टनर्स के जरिये बिक्री करेगी.
- नैटको 60 एमजी की 18 टैबलेट को 6,000 रुपये और 30 एमजी की 28 टैबलेट को 4,000 रुपये में लॉन्च करेगी.
- हेटेरो की दवा ब्रिस्टल मायर्स स्किवब के डाकलिंजा टैबलेट्स का जेनेरिक वर्जन होगी.
हेटेरो के बारे में
- हैदराबाद स्थित भारतीय दवा कंपनी हेटेरो ड्रग्स लि डॉ बी पार्थ सरधि रेड्डी पीएचडी द्वारा वर्ष 1993 में स्थापित की गयी.
- 12000 कर्मचारियों वाली कंपनी का 1 अरब डॉलर से अधिक का राजस्व है और पिछले वित्त वर्ष में $ 100 मिलियन का लाभ कमाया है.
- 100 से अधिक देशों में इसका विपणन है.
नैटको के बारे में
- 33 लाख रूपए के शुरुआती निवेश के साथ वर्ष 1981 में हैदराबाद में नैटको फार्मा की शुरुआत की गयी. नैटको विनिर्माण और वैश्विक मानकों के अनुरूप सस्ती दवाए बनाती है.
- 20 कर्मचारियों के साथ शुरू की गयी इकाई में वर्तमान में 3200 से अधिक कर्मचारी हैं. न्यू ड्रग डेवलपमेंट सहित पांच विनिर्माण समर्पित आधुनिक अनुसंधान प्रयोगशालाओं के साथ कंपनी का कारोबार भारत भर में फैला है.
हेपेटाइटिस सी वायरस फैलने का कारण
- सौंदर्य चिकित्सा जहां मृत त्वचा की कोशिकाएं गिरी होती हैं उसकी सतह पर कई दिनों तक हेपेटाइटिस सी का वायरस पनपता रहता है.
- दवा इंजेक्ट करने वाले उपकरणों (सुई, हीटिंग चम्मच आदि) को शेयर करने से. यह उप-सहाराई अफ्रीका के बाहर एचसीवी के संचरण का प्राथमिक स्रोत है.
- किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित सेक्स से.
- कभी-कभार प्रसव के दौरान संक्रमित माता से उसके बच्चे में हो सकता है. यह खतरा तब और भी बढ़ सकता है जब माता एचआईवी से भी संक्रमित हो.
- संक्रमित रक्त से.
- नाक से कोकीन का इस्तेमाल करने वाले उपकरणों को शेयर करने से.
- हाथ पर टैटू गुदवाने, संक्रमित खून चढ़वाने, दूसरे का रेजर उपयोग करने आदि की वजह से हेपेटाइटिस सी होने की संभावना अधिक रहती है.
लक्षण-
- लोगों में हेपेटाइटिस सी से संक्रमित होने पर भी कोई लक्षण नहीं दिखाई देते.
- अमूमन इसके लक्षण 15 से 150 दिन में विकसित होते हैं.
- जिन लोगों में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता, ऐसे संक्रमित लोग ही वायरस को फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं.
- इसके कुछ लक्षणों में भूख में कमी, पीलिया, उल्टी, अनिद्रा और अवसाद शामिल हो सकते हैं.
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