दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजित प्रकाश शाह को 9 नवंबर 2015 को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का नैतिक अधिकारी (लोकपाल) नियुक्त किया गया. वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के हित में सभी मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए स्वतत्र होंगे.
बीसीसीआई बोर्ड में हितों के टकराव की समस्या से निपटने के लिए लोकपाल नियुक्त करने का निर्णय बोर्ड की 86 वीं वार्षिक आम बैठक में लिया गया. इस निर्णय को बीसीसीआई में सफाई अभियान के रूप में माना जा रहा है.
सफाई अभियान का कारण 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल बना. इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त आरएम लोढ़ा समिति द्वारा की गई.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल ने जांच के बाद घोटाले में शामिल चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को अधिकारिक रूप से आईपीएल में भागीदारी हेतु दो साल के निलंबित कर दिया था.
67 वर्षीय न्यायमूर्ति शाह को बोल्ड निर्णय के लिए जाना जाता है. उनके चर्चित निर्णय में जुलाई 2009 के फैसले सहित भारत में 150 साल पुराने भेदभावपूर्ण समलैंगिक क़ानून पर रोक लगाने, और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन शामिल है.
वे भारत के 20 वें विधि आयोग और मई 2015 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा गठित विदेशी संस्थागत निवेशकों के मामले में न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) (एफआईआई) की निगरानी समिति के अध्यक्ष भी रहे.
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