प्रसाद (पीआरएएसएडी)– तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन पर्यटन मंत्रालय की प्रसाद और स्वदेश दर्शन योजनाएं नवंबर 2015 के दूसरे सप्ताह में सुर्खियों में रहीं.
क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (जेडसीसी) के साथ दोनों पहलों की शुरुआत साल 2016–17 तक अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की वर्तमान प्रतिशत 0.68 को बढ़ाकर 1 प्रतिशत प्राप्त करने के लिए की गई है.
दोनों ही योजनाएं मिशन मोड के तहत कार्यान्वित की जा रही हैं और इसका उद्देश्य पर्यटन संबंधी विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करना है.
प्रसाद की विशेषताएं
• इसका उद्देश्य देश में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है क्योंकि हमारा देश भारत हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन और सूफीवाद जैसे कई धर्मों का देश है.
• मिशन की रणनीति के हिस्से के रूप में वैसे धार्मिक स्थान जिन्हें विश्व स्तरीय पर्यटन उत्पादों के तौर पर पेश किया जा सकता है की पहचान की जा रही है और वहां प्राथमिकता के आधार पर बुनियादी ढांचे विकसित किए जा रहे हैं.
आरंभिक चरण में 12 शहरों– अमृतसर, अजमेर, अमरावती, द्वारका, गया, कांचीपुरम, केदारनाथ, कामाख्या, मथुरा, पुरी, वाराणसी और वेल्लनकनी, जो हृदय योजना का भी हिस्सा हैं, की पहचान विकास के लिए की गई है.
स्वदेश दर्शन की विशेषताएं
• योजना के हिस्से के तौर पर देश भर में संरचनात्मक विकास के लिए विषय आधारित पर्यटन सर्किटों की पहचान की जाएगी.
• विषय आधारित पर्यटन सर्किट (टीबीटीसी) को धर्म, संस्कृति, जातियता, स्थान आदि जैसे विशेष विषयों पर बने पर्यटन सर्किट के तौर पर परिभाषित किया जाता है.
• टीबीटीसी एक राज्य में भी हो सकता है या यह एक ऐसा क्षेत्रीय सर्किट हो सकता है जिसमें एक से अधिक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) आते हों.
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