केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने शार्क मछली को बचाने के लिए ‘फिन्स नैचुरली अटैच्ड (Fins Naturally Attached)’ नीति घोषित की. नई घोषित नीति के अनुसार, मत्स्य पालन में संलग्न व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा शार्कों को बिना उनके पंखों को नुकसान पहुंचाये समुद्र तटीय इलाकों में छोड़ा जाना है. इसकी सूचना अगस्त 2013 के चौथे हफ्ते में दी गयी.
इस नीति के माध्यम से शार्कों के पंखों को काटे जाने की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने में मदद मिलेगी. मछुआरे पकड़ी गयी शार्कों के पंखों को काट लेतें हैं और अधमरी शार्क मछलियों को पीड़ादायक मौत के लिए छोड़ देते हैं.
भारत को हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में शार्कों के मारे जाने वाले देशों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर रखा गया. इसके पीछे कारण है कि भारत शार्कों को मांस हेतु काफी बड़ी मात्रा में शिकार किया जाता है. दूसरी तरफ, शार्कों के पंखों के सूप की लगातार बढ़ती मांग के कारण शार्कों को उनके पंखों के लिए भी शिकार किया जा रहा है. मछुआरे शार्कों के पंखों का निर्यात भी करते हैं.
शार्कें समुद्री जैव-श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी हैं तथा समुद्री पारिस्थितिकीय तंत्र में मुख्य भूमिका निभाती हैं. अन्य मछलियों की तुलना में शार्कें कम बच्चे पैदा करती हैं जिससे शार्कों की ज्यादातर प्रजातियां भारत में लुप्त होने के कगार पर हैं.
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