सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली (एके गांगुली) ने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से कोलकाता में 6 जनवरी 2014 को इस्तीफा दे दिया. न्यायमूर्ति एके गांगुली ने यह इस्तीफा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन से राजभवन में मुलाकात के दौरान सौंपा. न्यायमूर्ति एके गांगुली पर एक ला इंटर्न के यौन उत्पीड़न का आरोप है.
न्यायमूर्ति गांगुली का यह निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा किए गए फैसले के बाद आया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने न्यायमूर्ति एके गांगुली को पश्चिमबंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने के मुद्दे पर राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से राय मांगे जाने (प्रेसीडेंशियल रिफरेंस) के प्रस्ताव को 2 जनवरी 2014 मंजूरी दे दी है.
सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों वाली एक समिति ने न्यायमूर्ति गांगुली को अभ्यारोपित किया था. समिति ने पाया कि इंटर्न के लिखित एवं मौखिक बयान से प्रथम दृष्ट्या इस बात का खुलासा होता है कि न्यायाधीश ने उसके (पीड़िता के) साथ 24 दिसम्बर 2012 को दिल्ली के ली मेरीडियन होटल में ‘अशोभनीय आचरण (यौन प्रवृत्ति का अशोभनीय मौखिक, गैर मौखिक आचरण’ किया.
पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके गांगुलीसे सम्बंधित मुख्य तथ्य
• न्यायमूर्ति एके गांगुली 17 दिसंबर 2008 से 3 फरवरी 2012 तक भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे.
• न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एके गांगुली ने 3 जनवरी 2014 को राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनयूजेएस) के मानद प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया.
• न्यायमूर्ति एके गांगुली का जन्म 3 फरवरी 1947 को हुआ.
• वह कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए और क़ानून में स्नातक की डिग्री ली.
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