प्रोग्रेस ऑन ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन : 2015

Jul 6, 2015, 14:45 IST

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 30 जून 2015  को प्रोग्रेस ऑन ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन : 2015 शीर्षक से आकलन प्रस्तुत किया.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 30 जून 2015  को प्रोग्रेस ऑन ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन : 2015 शीर्षक से आकलन प्रस्तुत किया.
यह रिपोर्ट संयुक्त रूप से डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के द्वारा संयुक्त निगरानी कार्यक्रम के तहत तैयार की गई है.
यह रिपोर्ट 1990 के बाद से सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के 7वें लक्ष्य की अद्यतन और मूल्यांकन प्रस्तुत करता है.
सहस्राब्दि विकास लक्ष्य का 7वां लक्ष्य 2015 तक बिना पानी और बुनियादी स्वच्छता वालें लोगों की संख्या को आधा करना है.
रिपोर्ट के अनुसार 147 देशों ने सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के पेय जल लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है और में 77 देशों ने दोनों पेय जल और स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त किया है इसके अतिरिक्त 95 देशों ने एमडीजी के स्वच्छता लक्ष्य को प्राप्त किया है.
रिपोर्ट के अनुसार भारत ने सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के पेय जल लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है और स्वछता लक्ष्य में में केवल साधारण प्रगति हुई है.

 रिपोर्ट : पेयजल

• पेय जल तक विश्व के 88 प्रतिशत लोगों की पहुँच का लक्ष्य 2011 में प्राप्त कर लिया गया जबकि इस लक्ष्य को प्राप्त करने की समय सीमा 2015 निर्धारित की गई थी.
• वर्ष 1990 के बाद से लगभग 2.6 अरब लोगों ने पेय जल तक पहुँच प्राप्त की है, 91 प्रतिशत लोगों के पास पेय जल उपलब्ध है और यह संख्या अब भी बढ़ रही है.
• पाँच विकासशील क्षेत्रों ने पेय जल के लक्ष्यको प्राप्त कर लिया है जबकी काकेशस, मध्य एशिया, उत्तरी अफ्रीका, ओशिनिया और उप सहारा अफ्रीकी क्षेत्रों ने अब तक लक्ष्य नहीं प्राप्त किया है.
• वैश्विक शहरी आबादी की 96 प्रतिशत जनसंख्या ने और ग्रामीण आबादी की 84 फीसदी जनसंख्या ने बेहतर पेयजल स्रोतों तक पहुँच पारपत कर ली है.
• ग्रामीण क्षेत्रों में दस में से आठ लोग पेय जल के उचित स्रोत के आभाव में रह रहें हैं.
• सबसे कम विकसित देश लक्ष्य को पूरा नहीं कर सके परन्तु 1990 के बाद से वर्तमान जनसंख्या के 42 प्रतिशत लोगों की पेय जल तक पहुँच में सुधार हुआ है.
• 2015 में 663मिलियन लोगों के पास अब भी उचित पेयजल स्रोत का आभाव है.

रिपोर्ट: स्वच्छता

• वर्ष 2015 में सहस्राब्दि विकास लक्ष्य के 77 प्रतिशत लक्ष्य की तुलना में 68 प्रतिशत लोगों की स्वछता सुविधाओं तक पहुँच है.
• वर्ष 2015 में हर तीन में से एक लोग स्वच्छता सुविधाओं से दूर हैं.
• स्वच्छता की कमी बच्चों के स्वास्थ्य पर एक खतरा है.
• काकेशस, मध्य एशिया, पूर्वी एशिया, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशियाई के विकासशील क्षेत्रों ने स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त किया है.
• वर्ष 1990 के बाद से 2.1 अरब लोगों ने बेहतर स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच प्राप्त की है.
• वैश्विक शहरी आबादी की 82 प्रतिशत जनसंख्या और ग्रामीण आबादी की 51 प्रतिशत जनसंख्या संशोधित स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करती हैं.
• दस में से सात लोग सुधार स्वच्छता सुविधाओं के बिना हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में दस में से नौ लोग अब भी खुले में शौच करते हैं.
• कम विकसित देशों में स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका है  और वर्तमान जनसंख्या की केवल 27प्रतीशत जनसंख्या की साफ-सफाई तक पहुँच है.
• दक्षिणी एशिया क्षेत्र जहां खुले में शौच करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है में भी महत्वपूर्ण सुधार हुआ है.
• वर्ष 1990 के बाद से बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान में 30 प्रतिशत से अधिक की कटौती हुई है.
 
डब्ल्यूएचओ और यूनीसेफ द्वारा सितंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नए सतत विकास लक्ष्य को स्थापित किया जाएगा जिसके तहत 2030 तक खुले में शौच को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा.

भारत के संदर्भ में रिपोर्ट-

• रिपोर्ट के तहत भारत ने खुले में शौच की दरों को कम करने में प्रगति की है इसके अतिरिक्त भारत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक पीने के पानी के लिए पहुँच प्रदान करने में सफल रहा है.
• भारत उन में 16 देशों में शामिल है जिन्होंने खुले में शौच की दरों में कम से कम 25 प्रतिशत की कमीं की है.
• भारत में खुले में शौच की 31 प्रतिशत की कमी अकेले 394 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करती है.
• समाज के सबसे गरीब लोगों में के प्रगति अब भी बहुत धीमी है.
• भारत में स्वच्छता तक पहुँच के मामले में सबसे अमीर और सबसे गरीब लोगों के बीच एक बड़ा अंतर मौजूद है.
• दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत ने पिछले 20 वर्षों में सबसे गरीब लोगों के बीच खुले में शौच को नष्ट करने में बहुत कम प्रगति की है.

1990 से 2015 तक सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों में परिवर्तन

 

1990

2015

विश्व जनसंख्या 5.3 अरब थी

विश्व जनसंख्या 7.3 अरब है

विश्व जनसंख्या का 57 प्रतिशत ग्रामीण थी

विश्व जनसंख्या का 54 प्रतिशत ग्रामीण है

76 प्रतिशत जनसंख्या की संशोधित पेय जल स्रोत का इस्तेमाल करती थी

91 प्रतिशत जनसंख्या की संशोधित पेय जल स्रोत का इस्तेमाल करती है

1.3 अरब लोगों को जल स्रोतों में सुधार का अभाव

663 अरब लोगों को जल स्रोतों में सुधार का अभाव

3460 लाख लोग ने सतही जल का इस्तेमाल किया

1590 लोग ने सतही जल का इस्तेमाल किया

54 प्रतिशत जनसंख्या संशोधित स्वच्छता सुविधाओं का इस्तेमाल किया

68 प्रतिशत जनसंख्या संशोधित स्वच्छता सुविधाओं का इस्तेमाल किया

विश्व की लगभग आधी जनसंख्या में साफ-सफाई सुधार का अभाव

3 में से 1 जनसंख्या में साफ-सफाई सुधार का अभा

विश्व में 4  में से 1 लोग खुले में शौच का अभ्यास करते हैं

विश्व में 8  में से 1 लोग खुले में शौच का अभ्यास करते हैं

87 देशों में 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या संशोधित पेय जल स्रोत का इस्तेमाल करती हैं

139 देशों में 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या संशोधित पेय जल स्रोत का इस्तेमाल करती हैं

23 देशों में कम से कम 50 प्रतिशत जनसंख्या संशोधित पेयजल स्रोतों का इस्तेमाल करती हैं.

3 देशों में कम से कम 50 प्रतिशत जनसंख्या संशोधित पेयजल स्रोतों का इस्तेमाल करती हैं

61 देशों में 90 प्रतिशत जनसंख्या संशोधित स्वच्छता सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं

97 देशों में 90 प्रतिशत जनसंख्या संशोधित स्वच्छता सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं

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