केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने बाघों की गणना से सम्बन्धित रिपोर्ट बाघ गणना-2010 नई दिल्ली में 28 मार्च 2011 को जारी किया. रिपोर्ट के तहत वर्ष 2010 में देश में औसत कुल 1706 बाघ हैं. इस गणना में सुन्दरबन के 70 बाघ भी शामिल हैं. वर्ष 2006 में देश में कुल बाघों की संख्या 1411 थी. वर्ष 2006 गणना में सुन्दरबन को शामिल नहीं किया गया था. वर्ष 2010 की बाघों की गणना में सुंदरबन को पहली बार शामिल किया गया. केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा 9 करोड़ रुपए की लागत से 39 बाघ संरक्षित क्षेत्रों में यह गणना की गई. इसमें 476000 वन कर्मियों ने भाग लिया.
भारत के तराई क्षेत्र और दक्षिण भारत में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी होना काफ़ी सकारात्मक संकेत है. हालांकि केंद्रीय भारत और पूर्वोत्तर भारत के इलाकों में उपलब्ध क्षेत्र के मुकाबले वहां बाघों की संख्या काफ़ी कम है जो चिंता का विषय है. उत्तराखंड, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में बाघों की संख्या बढ़ी है. मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में बाघों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई.
बाघों की संख्या में कमी का सबसे बड़ा कारण क़ानूनी प्रतिबंध के बावजूद शिकार और बाघ के पर्यावरण क्षेत्र को ख़तरा है.
भारत के लिए विकास की गति को बरक़रार रखना और बाघों को बचाना दोनों ज़रूरी है. इन दोनों लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाना सबसे बड़ी चुनौती है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation