भारत और जर्मनी ने भारत-जर्मनी द्विपक्षीय विकास सहयोग रूपरेखा के अंतर्गत दो समझौतों पर 5 फरवरी 2014 को हस्ताक्षर किए. भारत के केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम और जर्मनी के संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्री गेर्ड म्यूलेर ने अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
ये समझौते जर्मनी संघीय गणतंत्र के राष्ट्रपति जोएचिम गौक की छह दिन (4 से 9 फरवरी 2014) की सरकारी भारत-यात्रा के दौरान किए गए. राष्ट्रपति जोएचिम गौक के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है, जिसमें मंत्री, संसद-सदस्य और बिजनेस-लीडर शामिल हैं.
वित्तीय सहयोग पर छतरीदार समझौते में निम्नलिखित नौ परियोजनाओं के लिए जर्मनी सरकार की ओर से रियायती ऋण प्राप्त होगा:
• हिमालय जलविद्युत कार्यक्रम (एचपीपीसीएल)
• हरित ऊर्जा गलियारे
• ऊर्जा-क्षमता रिहायशी आवासन-II (एनएचबी)
• ताप-विद्युत संयंत्रों में ऊर्जा-क्षमता (डब्ल्यूबीपीडीसीएल)
• सस्ता आवास कार्यक्रम (एनएचबी)
• सूक्ष्म वित्त और सूक्ष्म उद्यम वित्त में नए दृष्टिकोण (सिडबी)
• लुप्त मध्य कार्यक्रम (सिडबी)
• मध्य प्रदेश शहरी स्वच्छता और पर्यावरण कार्यक्रम
• हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिक तंत्र जलवायु परीक्षण परियोजना
तकनीकी सहयोग पर छतरीदार समझौता ऊर्जा, पर्यावरण और वहनीय आर्थिक विकास क्षेत्रों की 13 परियोजनाओं से संबंधित है, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय विकास सहयोग के अंतर्गत प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र हैं.
दोनों पक्षों ने विकास सहयोग रूपरेखा के अंतर्गत दोनों देशों के बीच रचनात्मक संलग्नता की सराहना भी की. जर्मनी सरकार ने 1.09 बिलियन यूरो की निधियों के लिए प्रतिबद्धता भी व्यक्त की, जो कि 1958 के बाद से अब तक की उच्चतम प्रतिबद्धता है.
भारत-जर्मनी संबंध
भारत और जर्मनी के बीच एक सौहार्दपूर्ण और घनिष्ठ संबंध है. वर्ष 2000 से दोनों देश रणनीतिक साझेदार हैं. वर्ष 2011 में अंतर-सरकारी परामर्शों की शुरुआत के साथ शासन-प्रमुख के स्तर पर नियमित उच्चस्तरीय आदान-प्रदान के माध्यम से द्विपक्षीय सहयोग के सभी क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति शुरू हुई. दोनों देशों ने रणनीतिक क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाया है, आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध मजबूत किए हैं तथा शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति और व्यक्ति से व्यक्ति के संबंधों के क्षेत्रों में अंत:क्रिया बढ़ाने के लिए भी आदान-प्रदान किया है.
वर्तमान में जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देश अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भी घनिष्ठता के साथ मिलकर करते हैं.
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