भारत ने अत्याधुनिक मौसम उपग्रह इनसेट-3 डी का फ्रेंच गयाना स्थित कौरु से सफल प्रक्षेपण 26 जुलाई 2013 को किया. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के रॉकेट एरियन-5 ने इनसेट-3 डी और एल्फासेट उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े. हिन्द महासागर के ऊपर भूस्थिर कक्षा में यह पहला साउंडर सिस्टम है.
एल्फासेट, यूरोप का अब तक का सबसे बड़ा दूरसंचार उपग्रह है. इसका निर्माण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और इन्मारसैट के बीच बड़े स्तर की सार्वजनिक तथा निजी भागीदारी के तहत किया गया.
प्रक्षेपण के तुरंत बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने बताया कि भारत के प्रमुख नियंत्रण कक्ष में इनसेट-3 डी से संकेत मिलने लगे हैं. इनसेट-3 डी द्वारा अगले 7 वर्षों तक कार्य किया जाना है और इससे देश में मौसम अनुमान और आपदा चेतावनी प्रणाली को उन्नत करने में मदद प्राप्त होनी है.
स्वदेश में विकसित इनसेट-3डी के मौसम संबंधी आंकड़ों के विश्लेषण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के नई दिल्ली केंद्र में एक तंत्र विकसित किया. ऐसी ही व्यवस्था इसरो द्वारा के भोपाल और अहमदाबाद केंद्र में भी की जानी है.
उपग्रह इनसेट-3 डी
• इनसेट 3 डी का वजन 2060 किलो है.
• इस पर इमेजर, साउंडर, डाटा रिलो ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू जैसे चार पेलोड लगे हुए हैं.
• इस पर लगा 6 चैनल वाला इमेजर पृथ्वी के मौसम संबंधी चित्र ले सकता है.
• इनसेट-3 डी द्वारा वातावरण में सतह से शिखर तक तापमान और नमी तथा ओजोन की मात्रा का पूरा विवरण देते हुए मौसम की निगरानी की जानी है.
• इनसेट-3 डी में नया 19 चैनल का साउंडर लगा है, जिसे इसरो ने किसी उपग्रह में पहली बार भेजा है.
• इनसेट-3डी पर लगा तीसरा पैलोड डाटा रिले ट्रांसपोंडर द्वारा मौसम विज्ञान, जल विज्ञान और समुद्र विज्ञान संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराए जाने हैं. इससे मौंसम संबंधी सटीक भविष्यवाणियां की जा सकेंगी.
• इस उपग्रह को आने वाले दिनों में उसकी प्रणोदन प्रणाली (आगे बढ़ाने वाली) का उपयोग कर उसे 36 सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित भूस्थैतिकि कक्षा में स्थापित किया जाना है.
• इसे 82 डिग्री पूर्व में स्थित कक्षा में स्थापित करने के बाद अगस्त 2013 के दूसरे सप्ताह में उपग्रह में लगे मौसम संबंधी पेलो़ड को जाँच के लिए सक्रिय कर दिया जाना है.
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