भारत ने स्वदेश में निर्मित परमाणु आयुध ले जाने ने में सक्षम पृथ्वी-दो मिसाइल का बालेश्वर से लगभग 15 किलोमीटर दूर चांदीपुर में समुद्र में स्थित समन्वित परीक्षण रेंज से प्रायोगिक परीक्षण 7 अक्टूबर 2013 को किया.
मिसाइल को सुबह नौ बजकर 14 मिनट पर एकीकृत परीक्षण रेंज के कॉम्प्लेक्स-3 स्थित एक सचल प्रक्षेपक से साल्वो मोड में छोड़ा गया. मिसाइल को निर्माण भंडार से चुना गया और पूरी परीक्षण प्रक्रिया को विशेष रूप से गठित एसएफसी द्वारा अंजाम दिया गया. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी अभ्यास कवायद के रूप में की. मिसाइल प्रक्षेपण पथ पर डीआरडीओ के रडार, इलेक्ट्रोऑप्टिकल निगरानी प्रणाली और ओडिशा के तट पर स्थित टेलीमेट्ररी स्टेशनों की मदद से नजर रखी गई.
परीक्षण का उद्देश्य
परीक्षण एसएफसी के नियमित प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा था, जिसकी निगरानी डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने की. ऐसे प्रशिक्षण परीक्षण स्पष्ट रूप से किसी संभावित घटना से निपटने में भारत की तैयारी दर्शाता है. इसके साथ यह भारत के सामरिक जखीरे की इस प्रतिरोधक प्रणाली की विश्वसनीयता स्थापित करता है.
पृथ्वी-2 मिसाइल से संबंधित मुख्य तथ्य
• यह मिसाइल 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है.
• यह मिसाइल जमीन से जमीन पर मार करने में सक्षम है.
• वर्ष 2003 में भारत के सामरिक बल कमान में शामिल किया गया पृथ्वी-2 मिसाइल का विकास डीआरडीओ द्वारा भारत के प्रतिष्ठित समन्वित निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत किया गया है जो कि अब एक प्रमाणिक प्रौद्योगिकी है.
• पृथ्वी 500 किलोग्राम से एक हजार किलोग्राम तक आयुध ले जाने में सक्षम है तथा तरल ईंधन वाले दो इंजनों से संचालित होती है.
• इसमें सही पथ पर ले जाने के लिए एक उन्नत निर्देशित प्रणाली लगी हुई है.
विदित हो कि इससे पहले भारत ने देश में बनी जमीन से जमीन पर मार करने वाले पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा में एक सैनिक अड्डे से सफल परीक्षण 12 अगस्त 2013 को किया था.
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