भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए नेट स्थिर अनुदान अनुपात पर दिशानिर्देश जारी किए

Jun 2, 2015, 16:02 IST

भारतीय रिजर्व बैंक ने 28 मई 2015 को बैंकों के लिए तरलता मानक पर बेसल तृतीय फ्रेमवर्क के तहत नेट स्थिर अनुदान अनुपात (एनएसएफआर) पर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक ने 28 मई 2015 को बैंकों के लिए तरलता मानक पर बेसल तृतीय फ्रेमवर्क के तहत नेट स्थिर अनुदान अनुपात (एनएसएफआर) पर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं.

देश के सभी बैंक अपनी परिसंपत्तियों और बैलेंस शीट से सम्बंधित मामलों में वित्तीय स्थिति को स्थिर रख सकें इसी उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों में एनएसएफआर को 1 जनवरी 2018 से लागू करने के लिए प्रस्तावित किया है.


एक स्थायी वित्त पोषण संरचना की वजह से बैंक तरलता की स्थिति में बैंक के नियमित वित्तीय स्रोतों में ह्रास की संभावना को एनएसएफआर ख़त्म कर सकता है. वित्तीय स्रोतों में ह्रास असफलता के जोखिम को बढ़ाएगा और व्यापक रूप से बैंकों की प्रक्रिया को प्रभावित करेगा.

एनएसएफआर, अल्पकालिक वित्त पोषण की स्थिरता में विश्वसनीयता पैदा करती है, बैलेंस शीट के ऑन और ऑफ दोनों ही स्थितियों में जोखिम के बेहतर मूल्यांकन को प्रोत्साहित करती है औए वित्तीय स्थिरिता भी को बढ़ावा देती है.

क्या है एनएसएफआर ?


नेट स्थिर अनुदान अनुपात (एनएसएफआर) अपेक्षित वित्त पोषण की राशि को उपलब्ध स्थिर वित्त पोषण के रूप में जाना जा सकता है. यानि एनएसएफआर बैंकों की अपेक्षित वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करता है.

एनएसएफआर मानक, विशेष रूप से ऑफ बैलेंस शीट जोखिम, निवेश बैंकिंग की जरूरतें सुनिश्चित करने और नवीन योजनाओं की सुरक्षा के लिए संरचित है.

पृष्ठभूमि

2007 मे वैश्विक वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि के द्रष्टिगत बैंकिंग पर्यवेक्षण पर (बीसीबीएस) बासल समिति ने बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने और अधिक लचीला बनाने के उद्देश्य से वैश्विक पूंजी और तरलता नियमों को मजबूत करने के लिए कुछ सुधारों का प्रस्ताव रखा.

इस संबंध में, बेसल तृतीय तरलता जोखिम माप के लिए बैंकिंग पर्यवेक्षण और निगरानी बासल समिति ने अन्तराष्ट्रीय मानकों पर दिसंबर 2010 में ब्यौरा जारी किया, जो तरलता पर वैश्विक नियामक मानकों को दर्शाता है.अक्तूबर 2014 में नेट स्थिर अनुदान अनुपात (एनएसएफआर) पर अंतिम नियम जारी किए.

बासल समिति ने वित्त पोषण तरलता के लिए लिक्विडिटी कवरेज अनुपात (एलसीआर) और नेट स्थिर अनुदान अनुपात (एनएसएफआर) दो अलग न्यूनतम मानक, लेकिन पूरक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धरित किए. भारतीय रिजर्व बैंक ने जनवरी 2015 से ही तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) का कार्यान्वयन चरणबद्ध तरीके से शुरू कर दिया है.

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