भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय कंपनियों को गैर– परिवर्तनीय या प्रतिदेय तरजीही (रिडीमेबल प्रेफरेंस) शेयरों या डिबेंचरों को बोनस के रूप में जारी करने की अनुमति 6 जनवरी 2014 को प्रदान की. यह सुविधा अमेरिकी डिपॉजिटरी रेसिप्ट/ ग्लोबल डिपॉजिटरी रेसिप्ट– एडीआर/ जीडीआर धारकों के लिए न्यासी के रूप में काम करने वाली डिपॉजिटरी के लिए भी होगा.
आरबीआई ने यह फैसला कंपनियों द्वारा अपने शेयरों या डिबेंचर के जरिए सामान्य बचत में से वितरण के तरीके को युक्तिसंगत और सरल बनाने के लिए किया.
अधिसूचना के अनुसार तरजीही शेयरों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना का विषय बना दिया गया है जिसमें गैर– परिवर्तनीय/ प्रतिदेय तरजीही शेयर और परिवर्तनीय डिबेंचर ( वैकल्पिक तौर पर परिवर्तनीय या आंशिक तौर पर परिवर्तनीय डिबेंचरों को छोड़कर) शामिल नहीं है. इसके पहले, आरबीआई इस तरह के निर्गमों की अनुमति मामले के आधार पर दी थी.
आरबीआई ने अपने मानदंडों को कुछ भारतीय कंपनियों द्वारा योजना के तहत अनिवासी शेयरधारकों को गैर– परिवर्तनी या प्रतिदेय बोनस शेयर या डिबेंचर जारी करने के संदर्भ में सरल बनाया. यह अनुमति कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के बाद अदालत द्वारा एक व्यवस्था के तहत दी गई.
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