भारतीय रेल ने देश में पर्यावरण अनुकूल और ईंधन की बचत करने वाला पहला बहु-जेनसेट लोकोमोटिव (रेल इंजन) तैयार किया. इसमें डीज़ल से चलने वाले इंजनों के लिए ईधन की बचत वाली प्रौद्योगिकी प्रयोग में लाई गई. इस पहल से प्रदूषण मानक पर आधारित लाकोमोटिव के तैयार होने से भारतीय रेल में एक नए युग की शुरूआत हुई.
भारतीय रेल ने मध्यम दर्जे की अश्व शक्ति (हार्सपावर) के प्रोटोटाइप बहु-जेनसेट लोकोमोटिव तैयार करने का काम हाथ में लिया. रेलवे 800 हार्सपावर की शक्ति के तीन जेनसेट के साथ बहु जेनसेट लोकोमोटिव विकसित कर रहा है. इसकी कुल क्षमता 2400 हार्स पावर निर्धारित है. पहले बहु-जेनसेट लोकोमोटिव का परीक्षण पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल प्रभाग के इटारसी शहर में पायलट परियोजना के रूप में चल रहा है.
रेलवे प्रत्येक वर्ष 2.4 अरब हाई स्पीड डीजल की खपत करता है और इसे खरीदने के लिए 8000 करोड़ रूपए खर्च करता है.
बहु-जेनसेट लोकोमोटिव (रेल इंजन) की मुख्य विशेषताएं
• इसमें डीज़ल से चलने वाले इंजनों हेतु ईधन की बचत वाली प्रौद्योगिकी प्रयोग में लाई गई है.
• इन लोकोमोटिव इंजनों के प्रयोग से वांछित शक्ति के लिए ईधन की खपत में लगभग 20 प्रतिशत की बचत होनी है.
• इसके परिणामस्वरूप नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन काफी कम हो जाना है. यह पर्यावरण के अनुकूल है.
• इस प्रकार के इंजन में जेनसेट ट्रेन की जरूरत के अनुसार काम करता है.
विदित हो कि इस समय मध्यम हार्सपावर के 500 से अधिक बहु-जेनसेट लोकोमोटिव अमेरिका में है और मेसर्स बम्बार्डियर के पास जर्मन राज्य रेल हेतु 200 बहु-जेनसेट लोकोमोटिव तैयार करने का ऑर्डर है.
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