भारतीय मूल के भौतिक विज्ञानी पी हरिहरन का 27 जुलाई 2015 को अमेरिका में निधन हो गया. वे 89 वर्ष के थे.
अपने वैज्ञानिक कैरियर के दौरान हरिहरन ने कई विज्ञान शोध कार्य को पूरा किया जिसमे नया 3-बीम इंटरफेरोमीटर एवं पहले व्यावहारिक रेडियल-शियर इंटरफेरोमीटर प्रमुख है. इसके साथ ही उन्होंने फेब्री पेरोट इंटरफेरोमीटर के डिजाइन सहित विभिन्न शोध में योगदान दिया. वे तनाव और वेक्टर विस्थापन को मापने के क्रम में ‘होलोग्राफिक इंटरफेरोमेट्री’ करने के लिए डिजिटल चरण स्थानांतरण तकनीकों को लागू करने के वाले पहले भौतिक विज्ञानी थे.
एक भौतिक विज्ञानी के रूप में हरिहरन ने बहुरंगी इंद्रधनुष होलोग्राम विकसित की जो उनकी द्वारा की गई एक विशिष्ट उपलब्दी है. अपने वैज्ञानिक करियर के दौरान हरिहरन ने 4 किताबें एवं 200 से अधिक शोध-पत्र लिखा.
हरिहरन का जन्म 24 दिसम्बर 1926 में हुआ. वे प्रेसिडेंसी कालेज के प्रोफेसर एच.पी. वाराह के पुत्र थे. उन्होंने फोटोग्राफी रेसोल्विंग तकनीक में अपने काम के लिए पीएचडी (डॉक्टरेट) प्राप्त किया था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भौतिकी शोध प्रयोगशाला (NPL) से वर्ष 1949 से की. जहाँ उन्होंने वर्ष 1949 से 1951 तक कार्य किया तत्पश्चात उन्होंने ओटावा स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद (एनआरसी) में वर्ष 1951- 1954 तक कार्य किया.
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