मिस्र के अंतरिम राष्ट्रपति एडली मंसूर ने 14 दिसंबर 2013 को घोषित किया कि संविधान के नए प्रारूप पर राष्ट्रीय जनमत-संग्रह 14-15 जनवरी 2014 होगा. नया प्रारूप संविधान अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के शासन-काल में इस्लामवादियों के प्रभुत्व वाली संसद द्वारा अनुमोदित 2012 के संविधान की जगह लेगा. इस्लामवादियों द्वारा तैयार किया वर्तमान संविधान दिसंबर 2012 के जनमत-संग्रह द्वारा 64% मतों से अनुमोदित किया गया था.
संविधान-प्रारूपण पैनल के प्रमुख अम्र मूसा ने कहा, “प्रारूप-संविधान एक संतुलित संविधान है, जो स्वतंत्रता, अधिकार और शक्तियों का पृथक्करण उपलब्ध कराता है. मिस्र का नया संविधान विश्वास, मत और सृजन की स्वतंत्रता प्रदान करता है, बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण करता है और लैंगिक एकता उपलब्ध कराता है. यह धर्म पर आधारित राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगता है और नागरिकों की समानता सुनिश्चित करता है.”
प्रारूपण समिति द्वारा संशोधित प्रारूप मंसूर को 3 दिसंबर 2013 को प्रस्तुत किया गया था. संविधान का नया प्रारूप 50 सदस्यों वाले एक पैनल ने तैयार किया था. जुलाई 2013 में मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को हटाए जाने के बाद संक्रमणकालीन रोडमैप के अंतर्गत संशोधित संविधान को राष्ट्रीय जनमत-संग्रह द्वारा अनुमोदित करवाया जाना जरूरी है. सफल जनमत-संग्रह के बाद वहाँ चुनाव होंगे.
संशोधन-प्रक्रिया के दौरान संविधान प्रारूपण समिति ने इस बात का निर्णय राष्ट्रपति पर छोड़ दिया कि राष्ट्रपति चुनाव पहले करवाए जाएँ या संसदीय चुनाव.
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