मॉरीशस और भारत ने 9 दिसम्बर 2013 को संशोधित कर संधि में लाभ (कार्य) खंड की सीमा को शामिल करने के सहमति व्यक्त की. इस बात की जानकारी मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग (एफएससी) के अध्यक्ष मार्क हेन ने दी, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय कराधान सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुंबई में थे.
भारत और मॉरिशस की कर संधि में इस खंड का विवरण पर काम किया जा रहा है, वहीं कार्य खंड संधि का उद्देश्य अनुचित खरीदारी या तीसरे देश के निवेशकों द्वारा कर समझौतों के अनुचित प्रयोग को रोकना है. भारत-मॉरीशस कराधान संधि के इस अनुच्छेद के खास ब्यौरों को अभी अंतिम रूप दिया जाना है. आमतौर पर एलओबी क्लॉज इस मकसद से जोड़े जाते हैं कि किसी तीसरे देश के इनवेस्टर्स दो देशों की कर संधियों से अनुचित फायदा न उठा सकें. इस नियम संधि का फायदा उन्हीं पक्षों तक सीमित है, जो कुछ खास शर्तें पूरी करते हैं. इसमें बिजनेस, रेजिडेंसी और डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस एग्रीमेंट (DTAA) का फायदा लेने की चाहत रखने वाली इकाई के इनवेस्टमेंट कमिटमेंट्स देखे जाते हैं.
मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विसेज कमीशन (FSC) के चेयरमैन मार्क हीन ने कहा, “दोनों देशों ने ट्रीट में एलओबी क्लॉज जोड़ने पर सैद्धांतिक सहमति जताई है. एफएससी मॉरीशस का इंटीग्रेटेड रेगुलेटर है, जो कंपनियों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर के ग्लोबल बिजनेस पर नजर रखता है.”
दोहरे कराधान से बचाव समझौता (DTAA )
भारत का 65 देशों के साथ दोहरे कराधान से संबंधित समझौता है. जिसके अनुसार से उन अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) जहां वे रहते हैं और उस देश में आय करों का भुगतान करते हैं. वो एक ही वित्तीय वर्ष में भारत में अर्जित अपनी आय पर एक कम कर का भुगतान करने के लिए पात्र हैं.
उदाहरण के लिए, कई भारतीय कंपनियों के कार्यालय मॉरिशस में है और वे उस देश के माध्यम से भारत में निवेश करते हैं क्योंकि सामान्य कराधान दरें भारत की तुलना में कम रहीं हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि भारत को राजस्व का नुकसान हो रहा है. अब डीटीएए यह सुनिश्चत करता है कि इस तरह के इस तरह के निवेश पर कर की दर उतनी ही जितनी भारत के कानूनों के अनुसार है तथा निवेश किसी भी अन्य देश के माध्यम से नहीं हो जिनके साथ डीटीएए किया गया हो. इसे राउंड ट्रिपिंग कहा जाता है.
यह भी काले धन को वैध करने के लिए अनुकूल स्थितियां की ओर जाता है. काला धन वह धन है जब पैसे के सूत्रों का पता नहीं होता है. यह धन या तो भ्रष्ट साधनों के माध्यम से कमाया जा सकता है और आतंकवादी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए लगाया जा सकता है. इस तरह के पैसे को डर्टी मनी कहा जाता है.
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