17 दिसंबर 2011 को ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति मोसेफ मरजाउकी ने मोहम्मद बुअजीजी की याद में उनकी एक मूर्ति का अनावरण किया. मोहम्मद बुअजीजी ने ठीक एक वर्ष पूर्व यानी 17 दिसंबर 2010 को ट्यूनीशिया प्रशासन के विरुद्ध ख़ुद को आग लगा लिया था. फल विक्रेता मोहम्मद बुअजीजी के आत्मदाह ने ट्यूनीशिया में सरकारी तंत्र के खिलाफ आंदोलन को जन्म दिया था.
ज्ञातव्य हो कि बुअजीजी की ख़ुदकुशी के बाद 23 साल से ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति जीने-अल-अबिदीन बेन अली के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए थे. यह विरोध प्रदर्शन बुअजीजी के आत्मदाह के बाद धीरे-धीरे संपूर्ण अरब देशों में फैल गया. ट्यूनीशिया में फैली क्रांति का असर मिस्र, लीबिया, यमन और सीरिया में भी दिखा. यही अरब क्रांति के नाम से जाना गया.
4 जनवरी 2011 को 90 प्रतिशत तक जले मोहम्मद बुअजीजी का निधन हो गया था. ट्यूनीशिया की सरकार ने बुअजीजी को मरणोपरांत सखारोव सम्मान (Sakharov Prize) से भी सम्मानित किया. साथ ही उनके नाम का डाक टिकट भी जारी किया गया.
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