भारत और विश्व बैंक ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी-IV) के लिए 255 मिलियन अमरीकी डॉलर के बराबर ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए. भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव निलय मिताश तथा विश्व बैंक की ओर से देश के निदेशक (कंट्री डायरेक्टर) ओनो रूल ने नई दिल्ली में 18 जून 2013 को हस्ताक्षर किए.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2017 तक एड्स बीमारी वाले अधिक जोखिम वाले समूहों के व्यवहार में सुधार के लिए भारतीय लक्ष्य में योगदान करना है. कार्यक्रम के तीन भाग हैं और इसे राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर लागू किया जाना है. तीन भाग निम्नलिखित हैं:-
• बचाव लक्ष्य को बढ़ाना
• व्यवहार परिवर्तन संवाद-सूचना
• संस्थागत मजबूती
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम ( National AIDS Control Programm) राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन का एक कार्यक्रम है. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (National AIDS Control Organisation, NACO) की स्थापना वर्ष 1992 की गई थी. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक विभाग है. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा चलाया जाता है.
पहला राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम 1992 में आरंभ किया गया और इस केंद्रीय कार्यक्रम को विश्व बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त हुई. यह कार्यक्रम 1997 में समाप्त हुआ.
दूसरे राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत 1999 में हुई और यह वर्ष 2006 में प्रारंभ हुआ. यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों पर केंद्रित रहा.
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) I और II का कोई उल्लेखनीय प्रभाव नहीं पड़ा.
एनसीसीपी के तीसरे चरण में वैश्विक सहयोगियों और स्टेकधारकों (कॉरपोरेट्स) सहित के साथ मिलकर कई योजनाएं बनाई गई हैं. भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सेक्स के विषय को एक नए दृष्टिकोण से देखने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि सेक्स और सेक्स शिक्षा के विषय पर परिवारों, मित्रों और समाज को रूढि़वादी बंधनों से मुक्त किया जाना चाहिए तथा इस पर बात करने में किसी को कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए, उनके अनुसार जागरूकता ही असुरक्षित संभोग से फैलने वाली इस बीमारी से लड़ने का एकमात्र हथियार है. प्रयोग और रक्त-आधान के संबंध में पर्याप्त जागरूकता के प्रसार पर भी बल दिया.
एड्स क्या है
एड्स शब्द, अंग्रेजी भाषा के AIDS (एआईडीएस) से बना है जिसका अर्थ हैः एकवायर्ड इम्यूनो डिफीसिएंसी सिन्ड्रोम. इसका तात्पर्य निम्न प्रकार से हैः
ए.= एकवायर्ड (किसी से लिया गया )
आई.= इम्य़ूनों (शरीर प्रतिरक्षा प्रणाली)
डी.= डिफीसिएंसी (कमजोर हो जाना या उसमे कमी हो जाना)
एस.= सिन्ड्रोम (लक्षण)
अतः एड्स को किसी से लिया गया उन बिमारियों के लक्षण के रुप में जाना जाता है जो वायरस के कारण शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर हो जाने के कारण उत्तपन्न होता है.
जैसा कि उपर के परिभाषा से स्पष्ट है, एड्स बहुत सारे बिमारियों का मिला जुला लक्षण है जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है.
उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्रों (41 प्रतिशत) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में एचआईवी के मामले का प्रतिशत 59 तक पहुंच गया है.
विश्व एड्स दिवस
प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना है. जागरूकता के तहत लोगों को एड्स के लक्षण, इससे बचाव, उपचार, कारण इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाती है.
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