भारतीय मुद्रा रूपया 10 जून 2013 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 110 पैसे की गिरावट के साथ अपने अब तक के न्यूनतम स्तर तक चला गया. भारतीय मुद्रा में एक अमेरिकी डॉलर कीमत 58.16 रूपये तक पहुंच गयी. इससे पहले 22 जून 2012 को रूपया डॉलर के मुकाबले 57.32 रूपये के स्तर तक गिरा था.
रूपये के गिरने से देश के वित्तीय घाटे के बढ़ने की स्थिति पैदा कर दी और नीति निर्माताओं के लिए चुनौतियां बढ़ा दी. रूपये के गिरने से आयात करना महंगा होगा जबकि निर्यात करने वाली कंपनियों जैसे आईटी को फायदा होगा. ऐसी परिस्थिति में भुगतान असंतुलन की स्थिति होगी.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूपये के गिरावट के प्रेरक
• चालू वित्तीय घाटा
• कमजोर औद्योगिक उत्पादन तथा उच्च ब्यार दरें
• अपर्याप्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा विदेशी संस्थागत निवेश
• सरकार की अधिनियामक तथा नीतिगत अक्षमता
• रेटिंग घटने की संभावना
• नियंत्रण के बाहर मुद्रास्फीति
• सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट
• उभरते बाजारों पर यूरोपीय संकट का प्रभाव
• चीन में मंदी से कमोडिटी आधारित अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव
• जोखिम घटने से डॉलर सूचकांक में मजबूती
• केंद्रीय बैंक के प्रोत्साहन उपायों का गिरता प्रभाव
• सुरक्षित तथा तरल बांडों की ओर मुद्रा प्रवाह का बढ़ना
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