देश भर में सेक्स वर्करों के पुनर्वास की निगरानी के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप घोष की अध्यक्षता में 18 जुलाई 2011 को समिति गठित की. सेक्स वर्करों के पुनर्वास हेतु समिति (committee for sex workers for rehabilitation) में वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण व कुछ गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल किए गए.
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू व न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने सेक्स वर्कर के पुनर्वास (committee for sex workers for rehabilitation) मुद्दे पर सुनवाई के दौरान यह समिति गठित की. साथ ही पीठ ने सभी राज्यों से अपने यहां सर्वेक्षण करके पुनर्वास कार्यक्रम की स्थिति के बारे में समिति को रिपोर्ट देने का निर्देश भी दिया.
ज्ञातव्य हो कि पश्चिम बंगाल में एक सेक्स वर्कर की हत्या के मामले में अभियुक्त की अपील खारिज करते हुए 14 फरवरी 2011 को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने सेक्स वर्करों के पुनर्वास के लिए योजनाएं बनाने का केंद्र व राज्य सरकारों को निर्देश दिया था.
सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय के अनुसार सेक्स वर्कर मजबूरी में ये काम करती हैं. जबकि उन्हें भी सम्मान पूर्वक जिंदगी जीने का अधिकार है. न्यायालय ने केंद्र, राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश दिया था कि न सिर्फ सेक्स वर्करों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाए बल्कि उन्हें रोजगार भी मुहैया कराया जाए.
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