सर्वे ऑफ इंडिया (एसओआई) ने गूगल पर यह आरोप लगाया है कि वह चेतावनी देने के बाद भी देश के वर्गीकृत क्षेत्रों के मानचित्र परिणामों के द्वारा इंटरनेट पर प्रदूषण फैलाना जारी रखे हुए है. यह जानकारी देश की आधिकारिक मैपिंग एजेंसी सर्वे ऑफ इंडिया ने 10 अगस्त 2014 को दी.
इस मामले में सर्वे ऑफ इंडिया शिकायतकर्ता है. शुरुआत में इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस कर रही थी, लेकिन फिर जांच में अमेरिकी कंपनी के शामिल होने के बाद इसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया. भारतीय सर्वेयर जनरल द्वारा दायर शिकायत के आधार पर सीबीआई ने प्राथमिक पूछताछ की और भारत के गुगल के लिए कानूनी सलाहकार गीतांजली दुग्गल औऱ अन्यों से बात की.
पृष्ठभूमि
भारतीय सर्वेयर जनरल स्वर्णा सुब्बा राव के मुताबिक गूगल ने अपने वर्ष 2013 मैपथॉन अभ्यास के जरिए भारत पर ढेरों वर्गीकृत आंकड़े जमा किए हैं. उन्हें इन जानकारियों का उल्लेख न करने को कहने के बाद भी, गूगल ने उन्हें प्रकाशित करना जारी रखा.
गूगल ने 2013 में एक मैपिंग प्रतियोगिता – मैपथॉन, आयोजित करने से पहले सर्वे ऑफ इंडिया से अनुमति नहीं ली. इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों को अपने पड़ोसियों को मैप करने के लिए कहा गया था. गूगल की इस लापरवाही से सर्वे ऑफ इंडिया ने पूरी प्रतियोगिता का विवरण मांगा. परिणामस्वरूप, पता चला कि रक्षा प्रतिष्ठानों के बारे में जानकारी को भी सार्वजनिक डोमेन पर डाला गया था.
राष्ट्रीय मानचित्र नीति, 2005 के मुताबिक, "पूरे देश के स्थलाकृतिक नक्शे के डाटाबेस जो कि स्थानिक आंकडों के आधार पर बना होता है, को बनाने, रखरखाव और उसके प्रसार की जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया की है.

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