वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक 2014 लोकसभा में 37 के मुकाबले 352 मतों से 6 मई 2015 को पारित किया गया. इसे संविधान (122वां संशोधन) विधेयक-2014 भी कहते हैं अर्थात यह एक संविधान संशोधन विधेयक है.
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक 2014 का उद्देश्य भारत में अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों को आगे बढ़ाना है.
जीएसटी लागू होने के बाद पूरा देश एक साझा बाजार बन जायेगा तथा यह व्यापार बढ़ाने में सहायक होगा. इससे विनिर्माण को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार को कम करने में मदद मिलेगी. जीएसटी लागू होने से अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था काफी सरल और सुगम हो जायेगी. इससे मुद्रास्फीति में भी कमी आयेगी और आने वाले समय में आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा.
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक 2014 के मुख्य तथ्य
• यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 279 A के द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के गठन हेतु अवसर प्रदान करता है. यह परिषद वस्तुओं और सेवाओं को शामिल करने और न करने पर संघ और राज्यों से सिफारिश करेगी.
• जीएसटी उत्पाद शुल्क, सेवा कर जैसे केन्द्रीय करों तथा वैट, मनोरंजन कर, खरीद कर और चुंगी जैसे राज्य स्तरीय करों का स्थान लेगा. ये सभी कर जीएसटी में समाहित हो जायेंगे.
• माल की आपूर्ति पर अतिरिक्त कर की शुद्ध आय, संघ-राज्य क्षेत्रों से प्राप्त आय को छोड़कर, भारत की संचित निधि का हिस्सा नहीं होगा.
• इसके अंतर्गत सभी केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर, लेवी और केंद्रीय बिक्री कर और राज्य मूल्य वर्धित कर और बिक्री कर शामिल किए गए हैं.
• एल्कोहल को छोड़कर सभी वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी के दायरे में शामिल किया गया.
• जीएसटी परिषद के निर्णय के बाद पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाया जायेगा.
• राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की पांच साल तक पूरी तरह भरपाई की जायेगी.
• जीएसटी कर व्यवस्था को 1 अप्रैल 2016 से लागू किया जाना है.
• जीएसटी की एक समिति ने जीएसटी दर 27 प्रतिशत रखने की सिफारिश की है जो कि वैश्विक औसत 16.4 प्रतिशत से काफी उपर है. जीएसटी की निरपेक्ष दर वह दर होगी जिसके लागू होने पर राज्यों को राजस्व में कोई नुकसान नहीं होगा. जीएसटी की निरपेक्ष दर जीएसटी परिषद के विचाराधीन है और वही इस पर अंतिम निर्णय लेगी.
विदित हो कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक 2014 को अभी राज्य सभा में पारित किया जाना है जबकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार का राज्यसभा में बहुमत नहीं है. संसद से पारित कराने के बाद इस विधेयक को देश के 29 राज्यों में से आधे से अधिक राज्यों की विधानसभाओं में भी मंजूरी लेनी होगी.
पृष्ठभूमि
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक मूल रूप से संप्रग सरकार ने तैयार किया था. लेकिन राज्यों द्वारा आशंका व्यक्त किये जाने के बाद इसे मंजूरी नहीं दी जा सकी.
अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत 2003 में केलकर समिति ने की थी. इसके बाद संप्रग सरकार ने 2006 में जीएसटी विधेयक का प्रस्ताव किया था. विधेयक सबसे पहले 2011 में लाया गया था.
जीएसटी वर्ष 2006 से लंबित है. यह 1947 के बाद अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में होने वाला सबसे बड़ा सुधार होगा. जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में दिसंबर 2014 में पेश किया गया था.
इसके पारित होने के बाद केन्द्र और राज्य दोनों को ही वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार होगा.
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