केंद्रीय विधि आयोग ने 113 अप्रासंगिक कानूनों को ख़त्म करने का मसौदा 14 अक्टूबर 2014 को केंद्र सरकार को सौंपा. आयोग ने इसके साथ ही साथ द्वितीय विश्व युद्ध के दौर के 11 अध्यादेशों को भी ख़त्म करने की संस्तुति की. विधि आयोग द्वारा की गई यह संस्तुति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए दौर में अपना महत्व खो चुके पुराने कानूनों को समाप्त करने की मुहिम का हिस्सा है.
केंद्र सरकार को सौंपी अपनी अंतरिम रिपोर्ट में विधि आयोग ने कहा कि, चूंकि अधिकतर कानून भू-राजस्व से संबंधित हैं, इसलिए केंद्र को राज्यों से इन्हें खत्म करने को कहना चाहिए, क्योंकि भू राजस्व राज्य का विषय है.
विधि आयोग ने जिन कानूनों को खत्म करने की सिफारिश की है, उनमें बंगाल भू राजस्व ब्रिकी अधिनियम, 1841 भी शामिल है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, ‘इस कानून का लिखित मसौदा न तो कानून मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद है और न ही किसी अन्य स्रोत के पास. इससे मालूम होता है कि यह कानून अब प्रचलन में नहीं है. इसलिए इस कानून को खत्म कर देना चाहिए.’ रिपोर्ट में आयोग ने 77 और कानूनों को पूरी तरह खत्म करने के लिए चिन्हित किया है और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लाए गए 11 स्थाई अध्यादेशों को खत्म करने की सिफारिश की . इसके अलावा आयोग ने 25 राज्य पुनर्गठन कानूनों को आंशिक रूप से समाप्त करने के लिए चिन्हित किया है. आयोग ने जिन अध्यादेशों को खत्म करने की सिफारिश की, उनमें एक है, ‘वार इंजरीज ऑर्डिनेंस, 1941’. यह अध्यादेश केंद्र सरकार को युद्ध के समय घायलों को राहत प्रदान करने के लिए योजनाएं बनाने की शक्ति प्रदान करता है. इसके अलावा ‘आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) ऑर्डिनेन्स 1942’ को भी खत्म करने की सिफारिश आयोग ने की. साथ ही राजस्व बांबे अधिनियम-1842, राजस्व आयुक्त बांबे अधिनियम-1842, ‘सेल्स ऑफ लैंड फॉर रेवेन्यु एरिअर्स एक्ट-1845’, ‘बांबे मार्क्सए बांबे एक्ट-1846’ और पुलिस (आगरा) अधिनियम 1854 को भी खत्म करने की सिफारिश आयोग ने की.
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