21 मार्च: विश्व वन दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने 21 मार्च 2014 को विश्व वन दिवस के रूप में मनाया. वर्ष 2014 के विश्व वन दिवस का विषय- “सतत विकास के लिए वन” रखा गया.
विश्व वन दिवस का उद्देश्य वन संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना तथा वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लाभ के लिए सभी तरह के वनों के टिकाऊ प्रबंध, संरक्षण और टिकाऊ विकास को सुदृढ़ बनाना है. इसका लक्ष्य लोगों को यह अवसर उपलब्ध कराना भी है कि वनों का प्रबंध कैसे किया जाए तथा अनेक उद्देश्यों के लिए टिकाऊ रूप से उनका कैसे सदुपयोग किया जाए.
रियो में भू-सम्मेलन में वन प्रबंध को मान्यता दी गई थी तथा जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी के तापमान में वृद्धि से निपटने के लिए वन क्षेत्र को वर्ष 2007 में 25 प्रतिशत तथा 2012 तक 33 प्रतिशत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया था. इसका उद्देश्य वनों के संरक्षण, वन लगाने और उनकी पुनर्रचना करने के बारे में जानकारी देना एवं वनों के महत्त्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है.
भारत में 19.39 % भूमि पर वनों का विस्तार है और छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे अधिक वन-सम्पदा है उसके बाद क्रमश: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य में.
भारत सरकार द्वारा वर्ष 1952 में निर्धारित राष्ट्रीय वन नीति के तहत देश के 33.3 % क्षेत्र पर वन होने चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है. धीरे-धीरे हमारे वन नष्ट होते जा रहें है. वन-भूमि पर उद्योग-धंधो तथा मकानों का निर्माण, वनों को खेती के काम में लाना और लकड़ियों की बढती माँग के कारण वनों की अवैध कटाई आदि वनों के नष्ट होने के प्रमुख कारण है.

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