केंद्रीय सूचना आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय को उन सभी न्यायायिक मामलों का ब्योरा को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया, जिसके फैसले सुरक्षित रखे गए हैं. केंद्रीय सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा ने फैसले सुरक्षित रखे गए मामलों का रिकार्ड रखने और इसके ब्योरे को सार्वजनिक करने के लिए समुचित प्रबंध करने का भी निर्देश 4 अगस्त 2011 को दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष जो तर्क रखा, उसके अनुसार न्यायालय द्वारा सामान्यतया आदेश सुरक्षित रखे जाने के दो से चार हफ्तों में फैसला सुना दिया जाता है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि ऐसे फैसलों का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता जहां आदेश लंबे समय तक सुरक्षित रखा गया हो.
सर्वोच्च न्यायालय ने तर्क दिया कि ऐसे मामलों का ब्योरा रखने के लिए हर फाइल की समीक्षा करनी पड़ेगी जो एक असंभव सा कार्य है. केंद्रीय सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा ने सर्वोच्च न्यायालय के तर्कों को खारिज करते हुए ऐसे मामलों की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया. साथ ही आदेश के 15 दिनों के भीतर न्यायालय द्वारा इस संबंध में कार्यवाही शुरू किए जाने का निर्देश भी दिया.
ज्ञातव्य हो कि सेवानिवृत कोमोडोर लोकेश के बत्रा ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर उन मामलों की जानकारी चाही थी जिसमें सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायाधीशों द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह की जानकारी उपलब्द्ध कराने को असंभव कार्य बताया था.
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