Indian-American doctor Siddhartha Mukherjee’s book The Emperor of All Maladies: A Biography of Cancer won Pulitzar Awards 2011. भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर सिद्धार्थ मुखर्जी की पुस्तक द एम्परर ऑफ ऑल मेलडीज: ए बायोग्राफी ऑफ कैंसर को वर्ष 2011 के पुलित्जर पुरस्कार के लिए 19 अप्रैल 2011 को चुना गया. यह पुरस्कार नॉन फिक्शन श्रेणी (गैर उपन्यास श्रेणी ) में दिया गया. लॉस एंजिल्स टाइल्स को सावर्जनिक सेवा की श्रेणी का और जेनिफर इगान को उनके उपन्यास ए विजिट फ्रॉम द गुन स्क्वायड के लिए उपन्यास श्रेणी का पुलित्जर पुरस्कार दिया गया. इस वर्ष के पुलित्जर पुरस्कारों के 95 वर्षों के इतिहास में दैनिक पत्रकारिता की विभिन्न श्रेणियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मानी जाने वाली ब्रेकिंग न्यूज श्रेणी में कोई पुरस्कार नहीं दिया गया.
नॉन फिक्शन श्रेणी के अंतिम प्रतिस्पर्धिओं में निकोलस केर की पुस्तक द शलोज: ह्वाट द इंटरनेट इज डूइंग टू अवर ब्रेन और एससी गाइनी की एम्पायर ऑफ द समर मून : कुआना पार्कर एंड द राइज एंड फॉल ऑफ द कोमैंचेज, द मोस्ट पॉवरफुल इंडियन ट्राइब इन अमेरिकन हिस्ट्री भी थी. न्यूयॉर्क में रहने वाले कैंसर के शोधकर्ता और डॉक्टर सिद्धार्थ मुखर्जी की यह किताब कैंसर जैसी घातक बीमारी के इतिहास को टटोलती एक बेहतरीन चिकित्सा रचना है. पुरस्कार राशि के रूप में दस हजार डॉलर (लगभग साढ़े चार लाख रुपए) की राशि दी जाती है.
दिल्ली में जन्मे मुखर्जी कोलंबिया यूनिवर्सिटी में चिकित्सा विज्ञान के सहायक प्रोफेसर होने के साथ ही विश्र्वविद्यालय के चिकित्सा केंद्र में कैंसर के चिकित्सक हैं. उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से शिक्षा ग्रहण की है. उन्होंने कई प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिकाओं नेचर, द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन, द न्यूयॉर्क टाइम्स और द न्यू रिपब्लिकन में लेख भी लिखे हैं.
डॉ. सिद्धार्थ मुखर्जी पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले भारतीय मूल के चौथे व्यक्ति हैं.
सबसे पहले वर्ष 1937 में गोविंद बिहारी लाल को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 300वीं जयंती पर विज्ञान विषय की कवरेज के लिए रिपोर्टिग श्रेणी में पुलित्जर पुरस्कार प्रदान किया था. गोविंद बिहारी लाल हर्स्ट अखबार में विज्ञान संपादक थे. भारतीय अमेरिकी लेखिका झुंपा लाहिड़ी को अपने कहानी संग्रह के लिए फिक्शन श्रेणी में पुलित्जर पुरस्कार वर्ष 2000 में दिया गया था. उन्हें पुरस्कार स्वरूप 5000 डॉलर (करीब 2.25 लाख रुपए) प्रदान किए थे. वर्ष 2003 में गीता आनंद को जोसफ पुलित्जर के नाम पर शुरू किया गया यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया. वह वाल स्ट्रीट जर्नल में खोजी संवाददाता और फीचर लेखिका थीं.
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